Hello Friends आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग Examenglishhindi.Com में आज के इस Article में हम पढ़ेंगे की AFSPA Full Form in Hindi | एएफएसपीए का फुल फॉर्म क्या है?, AFSPA का क्या मतलब है? (What Does AFSPA Meaning), सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम क्या है ? (What is Armed Forces Privileges Act)
सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत कौन से राज्य हैं ?, AFSPA क्यो जरूरी है (AFSPA Kyo Jaroori Hai), एक क्षेत्र कब ‘डिस्टर्ब’ माना जाता है? चलिए शुरू करते है – AFSPA Full Form In Hindi
इस क़ानून के द्वारा सेना को कुछ विशेष अधिकार प्रदान किये जाते है| AFSPA को 1 सितंबर 1958 को भारतीय राज्य Assam, Manipur, Tripura, Meghalaya, Arunachal Pradesh, Mizoram और Nagaland में लागू किया गया था और 1990 में Jammu and Kashmir में आतंकवाद बढने के कारण AFSPA Act को लागू किया गया था।
हमारा पूर्वोतर का हिस्सा आतंकवाद और माओवाद (Terrorism and Maoism) से पीड़ित है जिस पर नियंत्रण करने के लिए AFSPA Act को लागू किया गया था। Maoism का यह मकसद था कि पूर्वोतर हिस्से को भारत से करना है।
AFSPA Full Form in Hindi (एएफएसपीए का फुल फॉर्म)
AFSPA Full Form in Hindi – ”Aremed Forces Special Power Act” हिंदी में AFSPA का फुल फॉर्म सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम है |
AFSPA भारत के संसद का एक अधिनियम है जो Indian Armed Forces और राज्य और Paramilitary Forces को अशांत क्षेत्रों के रूप में वर्गीकृत क्षेत्रों में विशेष अधिकार प्रदान करता है|
Supreme Court ने हाल ही में CBI को Manipur में अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं के कथित मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल Special Investigation Team (SIT) गठित करने का निर्देश दिया है |
किसी क्षेत्र को अशांत घोषित करने की शक्ति शुरू में राज्यों के पास थी लेकिन 1972 में केंद्र को पारित कर दी गई सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सशस्त्र बलों द्वारा AFSPA की आड़ में किसी भी मुठभेड़ को पूरी तरह से जांच के अधीन किया जाना चाहिए|
AFSPA का क्या मतलब है? (What Does AFSPA Meaning)
सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA), 11 सितंबर, 1958 को भारत की संसद द्वारा पारित किया गया था। यह सशस्त्र बलों को विशेष अधिकार प्रदान करता है जिसे अधिनियम “अशांत क्षेत्र” कहता है।
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम क्या है ? (What is Armed Forces Privileges Act)
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (Armed Forces Special Powers Act – AFSPA) 11 सितंबर 1958 को संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था इससे पहले पूर्वोत्तर भारत (Northeast India) में लागू किया गया था और फिर Punjab और Chandigarh में लागू किया गया था
जिसे लागू होने के लगभग 14 साल बाद 1997 में वापस ले लिया गया था September 1990 में संसद ने Armed Forces (Jammu and Kashmir) विशेष अधिकार अधिनियम पारित किया जिसे 5 जुलाई 1990 से पूर्वव्यापी रूप से लागू हुआ माना गया था |
AFSPA सेना राज्य और केंद्रीय पुलिस वालों को गोली मारने की शक्ति देता है |
सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत कौन से राज्य हैं ?
निम्नलिखित भारतीय राज्य AFSPA अधिनियम के अंतर्गत हैं –
जम्मू और कश्मीर |
त्रिपुरा |
मणिपुर (नगरपालिका क्षेत्र इंफाल को छोड़कर) |
मेघालय (असम की सीमा से 20 किलोमीटर की बेल्ट तक सीमित) |
मिजोरम |
नागालैंड |
असम |
अरुणाचल प्रदेश (केवल तिरप, चंगलांग और लोंगडींग जिले और असम की सीमा के 20 किलोमीटर की बेल्ट तक) |
AFSPA क्यो जरूरी है (AFSPA Kyo Jaroori Hai)
- AFSPA भारतीय सशस्त्र सेना (Indian Armed Forces) का सबसे बड़ा हथियार है।
- शक के आधार पर Army किसी भी जगह पर तलाशी ले सकती है, और यदि कोई वस्तु या व्यक्ति संदेह के घेरे में पाया जाता है।
- जो देश की सुरक्षा को नुकसान पंहुचा सकता है, उसके विरुद्ध सेना बल और गोली का प्रयोग करती है।
- आतंकवाद और माओवादीओं को रोकने में भारतीय सेना ने अपने कई बहादुर सैनिकों और अधिकारियों का बलिदान दिया है।
- तो उस पर शारीरिक बल या गोली का प्रयोग कर सकती है|
- सेना इस क़ानून के द्वारा आतंकियों के अड्डे और प्रशिक्षण शिविरों को भी नष्ट कर सकती हैं।
- इस अधिनियम के खिलाफ सेना यदि किसी व्यक्ति को विपरीत कार्य करते हुए पाती है।
- इस क़ानून के तहत सेना पर कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती है।
एक क्षेत्र कब ‘डिस्टर्ब’ माना जाता है?
- विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषा, क्षेत्रीय समूहों, जातियों, समुदायों के बीच मतभेद या विवादों के कारण राज्य या केंद्र सरकार एक क्षेत्र को “डिस्टर्ब” घोषित करती हैं।
- एक बार डिस्टर्ब क्षेत्र घोषित होने के बाद सेना कम से कम 3 महीने तक वहाँ तैनात रहती है और जरूरत पड़ने पर सीमा बढाई जा सकती है।
सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA) लागू करने की जरूरत क्यों पड़ी ?
सबसे पहले नागा नेशनल काउंसिल नेशन ने 1952 के पहले आम चुनाव का बहिष्कार किया गया था |
जो बाद में सरकारी स्कूलों और अधिकारियों के बहिष्कार की एवढा स्थिति से निपटने के लिए असम सरकार ने 1953 में नागा हिल्स में असम मेंटेनेंस ऑफ पब्लिक ऑर्डर शायद जिला अधिनियम लागू किया
और विद्रोहियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई तेज कर दी स्थिति बिगड़ने पर असम ने नागा हिल्स में असम राइफल्स की तैनाती की और 1955 में अधिनियम लागू किया जिसे अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस का मुकाबला करने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान किया गया |
AFSPA कानून में सशस्त्र बलों को क्या-क्या शक्तियां मिलती है ?
AFSPA कानून का सबसे बड़ा विरोध इसमें सशस्त्र बलों को दी जाने वाली दमनकारी शक्तियां ही है कुछ शक्तियां इस प्रकार है:
- यदि सशस्त्र बलों को अंदेशा है कि विद्रोही या उपद्रवी किसी घर या अन्य बिल्डिंग में छुपे हुए हैं ( जहां से हथियार बंद हमले का अंदेशा हो) तो उस आश्रय स्थल या ढांचे को तबाह किया जा सकता है
- किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है
- यदि कोई व्यक्ति अशांति फैल आता है बार-बार कानून तोड़ता है तो मृत्यु तक बल का प्रयोग कर किया जा सकता है
- सशस्त्र बल बिना किसी वारंट के किसी भी घर की तलाशी ले सकते हैं और इसके लिए जरूरी बल का इस्तेमाल किया जा सकता है
- वाहन को रोककर उसकी तलाशी ली जा सकती है
- सशस्त्र बलों द्वारा गलत कार्यवाही करने की दशा में भी उनके ऊपर कानून कार्यवाही नहीं की जाती है
AFSPA के पक्ष में तर्क (Arguments in favor of AFSPA)
AFSPA द्वारा मिली शक्तियां के आधार पर ही सशस्त्र बल देश में उपद्रव काली शक्तियों के खिलाफ मजबूती से लड़ पा रहे हैं और देश की एकता और अखंडता की रक्षा कर पा रहे हैं
AFSPA की ताकत से ही देश के अशांत हिस्सों जैसे जम्मू एंड कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में आतंकी संगठनों और विद्रोही गुटों जैसे उल्फा इत्यादि से निपटने में सुरक्षाबलों का मनोबल बढ़ा है
देश के आसान क्षेत्रों में कानून का राज कायम हो सका है
AFSPA के विपक्ष में तर्क (Arguments Against AFSPA)
- सुरक्षाबलों के पास बहुत ही दमनकारी सकती है जिनका सशस्त्र बल दुरुपयोग करते हैं फर्जी एनकाउंटर यौन उत्पीड़न आदि के मामले इनका पुख्ता सबूत है
- यह कानून मानवाधिकार का उल्लंघन करता है
- इस कानून की तुलना अंग्रेजों के समय के रौलट एक्ट से की जा सकती है क्योंकि इसमें भी किसी को केवल शक के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है
- यह कानून नागरिकों के मूल अधिकारों का निलंबन करता है
AFSPA का विशेषाधिकार (This law violates human rights)
इस कानून के अंतर्गत सशस्त्र बलों को तलाशी लेने गिरफ्तार करने व बल प्रयोग करने आधे में सामान्य प्रक्रिया के मुकाबले अधिक स्वतंत्रता है तथा नागरिक संस्थाओं के प्रति जवाबदेही भी कम है
AFSPA का विरोध (Opposition to AFSPA)
इस अधिनियम को कथित रूप से अपने आप लागू किए गए क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए प्रखर आलोचना झेलनी पड़ती है कांग्रेस के पी चिंदबरम और सैफुद्दीन सोज जैसे राष्ट्रीय राजनेताओं ने AFSPA को रद्द करने की वकालत की है
उनका कहना है कि यह स्पष्ट नहीं करती है कि किस आधार पर किसी क्षेत्र को अशांत घोषित किया जाएगा जबकि कांग्रेस के कुछ नेता जैसे कैप्टन अमरिंदर सिंह इस को खारिज किए जाने के खिलाफ है |
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