Amiba Kya Hai | Definition Discovery Structure अमीबा क्या है

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इस पोस्ट में हम Amiba Kya Hai है | को समझाने के लिए Amiba Kya Hai की परिभाषा के माध्यम से और Branches और जो कि Hindi में हैं इनकी सहायता से आपको समझाने का भरपूर प्रयास करेंगे।

अमीबा (Amoeba) किसे कहते है

जीवित अमीबा बहुत सूक्ष्म प्राणी है, यद्यपि इसकी कुछ जातियों के सदस्य 1/2 मि.मी. से अधिक व्यास के हो सकते हैं।

(Amiba Kya Hai) संरचना में यह जीवरस (प्रोटोप्लाज्म) के छोटे ढेर जैसा होता है, जिसका आकार निरंतर धीरे-धीरे बदलता रहता है। कोशिकारस बाहर की ओर अत्यंत सूक्ष्म कोशाकला (प्लाज़्मालेमा) के आवरण से सुरक्षित रहता है।

स्वयं कोशारस के दो स्पष्ट स्तर पहचाने जा सकते हैं-बाहर की ओर का स्वच्छ, कणरहित, काँच जैसा, गाढ़ा बाह्य रस तथा उसके भीतर का अधिक तरल, धूसरित, कणयुक्त भाग जिसे आंतर रस कहते हैं।

आंतर रस में ही एक बड़ा केंद्रक भी होता है। संपूर्ण आंतर रस अनेक छोटी बड़ी अन्नधानियों तथा एक या दो संकोची रसधानियों से भरा होता है। प्रत्येक अन्नधानी में भोजनपदार्थ तथा कुछ तरल पदार्थ होता है।

(Amiba Kya Hai) इनके भीतर ही पाचन की क्रिया होती है। संकोचिरसधानी में केवल तरल पदार्थ होता है। इसका निर्माण एक छोटी धानी के रूप में होता है, किंतु धीरे-धीरे यह बढ़ती है और अंत में फट जाती है तथा इसका तरल बाहर निकल जाता है।

अमीबा की चलनक्रिया बड़ी रोचक है। इसके शरीर के कुछ अस्थायी प्रवर्ध निकलते हैं जिनको कूटपाद (नकली पैर) कहते हैं। पहले चलन की दिशा में एक कूटपाद निकलता है, फिर उसी कूटपाद में धीरे-धीरे सभी कोशारस बहकर समा जाता है।

(Amiba Kya Hai) इसके बाद ही, या साथ साथ, नया कूटपाद बनने लगता है। हाइमन, मास्ट आदि के अनुसार कूटपादों का निर्माण कोशारस में कुछ भौतिक परिवर्तनों के कारण होता है। शरीर के पिछले भाग में कोशारस गाढ़े गोदं की अवस्था (जेल स्थिति) से तरल स्थिति में परिवर्तित होता है

और इसके विपरीत अगले भाग में तरल स्थिति से जेल स्थिति में। अधिक गाढ़ा होने के कारण आगे बननेवाला जेल कोशिकारस को अपनी ओर खींचता है।

अमीबा (Amoeba) का परिभाषा

अमीबा (Amoeba) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में एक वंश है तथा इस वंश के सदस्यों को भी प्रायः अमीबा कहा जाता है। अत्यंत सरल प्रकार का एक प्रजीव (प्रोटोज़ोआ) है जिसकी अधिकांश जातियाँ नदियों, तालाबों, मीठे पानी की झीलों, पोखरों, पानी के गड्ढों आदि में पाई जाती हैं। कुछ संबंधित जातियाँ महत्त्वपूर्ण परजीवी और रोगकारी हैं।

(Amiba Kya Hai) अमीबा जीवित प्राणियों की तरह अपना भोजन ग्रहण करता है। वह हर प्रकार के कार्बनिक कणों-जीवित अथवा निर्जीव-का भक्षण करता है।

इन भोजनकणों को वह कई कूटपादों से घेर लेता है; फिर कूटपादों के एक दूसरे से मिल जाने से भोजन का कण कुछ तरल के साथ अन्नधानी के रूप में कोशारस में पहुँच जाता है।

(Amiba Kya Hai) कोशारस से अन्नधानी में पहले आम्ल, फिर क्षारीय पाचक यूषों का स्राव होता है, जिससे प्रोटीन तो निश्चय ही पच जाते हैं। कुछ लोगों के अनुसार मंड (स्टार्च) तथा वसा का पाचन भी कुछ जातियों में

अमीबा के प्रमुख भाग

  1. संकोची रसधानी (contractive vacuole)
  2. अन्नधानी (food vacuole)
  3. कूटपाद (pseudopod)
  4. आंतर रस (Endoplasm)
  5. स्वच्छ बाह्य रस (Ectoplasm)
  6. केंद्रक (nucleus)

वर्गीकरण : परॉटिस्टा जगत

  • संघ – प्रोटोजोआ (प्राणि-सदृश अर्थात होलोजोइक पोषण)
  • उपसंघ – सार्कोमैसीटगोफोरा
  • वर्ग – सार्कोडिना
  • उपवर्ग -राइजोपोडा (पादाभ बनाकर गति करते हैं)
  • गण -अमिबा
  • श्रेणी – अमीबा (Proteus)
  • जाति – प्रोटियस
  • जगत – प्रोटिस्टा (यूकैरियोटिक कोशिकाधारी जीव)

अमीबा की खोज

अमीबा की खोज 1755 ई० में रसेल वान रोसेनहाफ़ ने की | उन्होंने इसका नाम लघु प्रोटियस रखा

अमीबा की पहचान

(1) तालाब एवं पोखरों के तलहटी के जल में रहते हैं ।
(2) स्वतंत्र जीवन व्यतीत करते हैं ।
(3) आकार निश्चित नहीं होता ।

(4) (Amiba Kya Hai) शरीर-रचना एक कोशिकीय होती है । कोशिका का जीवद्रव्य बाह्य एवं आंतर्द्रव्य (ecto and endoplasm) में विभक्त रहता है । कोशिका से विभिन्न दिशाओं में जीवद्रव्य पादाभों (pseudopodia) के रूप में निकला होता है । इन्हीं पादाभों की सहायता से अमीबा तलहटी पर धीमी गति से फिसलता है ।

(5) (Amiba Kya Hai) कोशिका में एक केन्द्रक, एक आंकुचनशील धानी (contractile vacuole), कुछ खाद्य-धानियाँ (food vacuoles) देखे जा सकते हैं । संग्रहीत पदार्थ के रूप में वसा बूँदे होती हैं ।

(6) प्राणि-सदृश (holozoic) पोषण करते हैं ।
(7) केवल अलैंगिक विधि से दो अथवा अनेक टुकड़ों में बँटकर प्रजनन करते हैं ।

(8) पोखर का पानी सूखने पर प्रतिकूल अवस्था में रक्षा हेतु एक पुटी में बंद हो जाते हैं । अनुकूल स्थिति में पुटी से पुन: बाहर निकाल आते हैं ।

इनकी प्राकृतिक मृत्यु नहीं होती क्योंकि शरीर का द्वि-अथवा बहुविभाजन हो जाता है, इसलिए इसे ‘अमरजीव’ (immortal) भी कहा जाता है ।

अमीबा की संरचना के बुनियादी घटक

(Amiba Kya Hai) जीवित अमीबा बहुत सूक्ष्म प्राणी है, यद्यपि इसकी कुछ जातियों के सदस्य 1/2 मि. मी. से अधिक व्यास के हो सकते हैं। संरचना में यह जीवरस (प्रोटोप्लाज्म) के छोटे ढेर जैसा होता है, जिसका आकार निरंतर धीरे-धीरे बदलता रहता है।

  • एक सेल मेम्ब्रेन(Cell-membrane)
  • एक न्यूक्लियस(Nucleus)
  • साइटोप्लाज्म – एंडोप्लाज्म और एक्टोप्लाज्म
  • छोटे भोजन वैक्यूल्स (ये छोटे बुलबुले की तरह दिखते हैं)
  • उंगलियों की तरह दिखने वाले प्रोजेक्शन को स्यूडोपोडिया कहा जाता है (जिसे “झूठे पैर” भी कहा जाता है)

अमीबा में पोषण कैसे होता है?

(Amiba Kya Hai) अमीबा एक प्रकार का सिंगल-कोशिका प्रोटोज़ोअल जीव होता है। एक अमीबा में न्यूट्रीशन एक प्रक्रिया के माध्यम से होता है जिसे फागोसाइटोसिस कहा जाता है।

(Amiba Kya Hai) यह भोजन ज्यादातर छोटे बैक्टीरिया, एलगी या अन्य पौधे या मृत जानवर जो अमीबा के आसपास उपलब्ध होता है। यह एक आश्चर्य की बात है कि अमीबा, जिनके पास मुंह नहीं होता है और न ही कोई सक्शन तंत्र वास्तव में भोजन लेते हैं, यह केवल और केवल आकारहीन सेल्स हैं।

अमीबा में पोषण की प्रक्रिया

(Amiba Kya Hai) सेल सामग्री एक आकारहीन सेल मेम्ब्रेन से घिरी होती है। सेल के अंदर, एक घना न्यूक्लियस होता है, कुछ बुलबुले की तरह कॉन्ट्रैक्टाइल वैक्यूलस्(contractile vacuoles) होते हैं, और ये सभी साइटोप्लाज्म से घिरे होते हैं।

(Amiba Kya Hai) सेल का साइटोप्लाज्म सेल मेम्ब्रेन की सीमा को push करता है उंगली की तरह के आकार या प्रोजेक्शन बनाता है। ये प्रोजेक्शन जब भोजन को छूते हैं, तब यह एक खाद्य वैक्यूल बनाते हैं।

यह वैक्यूल तब सेल में गहराई से पहुंचाया जाता है। भोजन वैक्यूल के अंदर, एंजाइम नामक डाइज़ेस्टीव जूस होते हैं। एंजाइम जटिल खाद्य अणुओं को घुलनशील प्रकृति के सरल पदार्थों में पूर्ण पाचन में मदद करते हैं।

इसके बाद, पोषक तत्व भोजन वैक्यूल की दीवार के माध्यम से अमीबा के शरीर में अवशोषित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को हम डिफ्फ्यूशन के नाम से जानते हैं।

(Amiba Kya Hai) भोजन अमीबा के सेल बॉडी में सचमुच फैलता है। यदि अमीबा ने उसकी जरूरत से ज्यादा भोजन किया है, तो अतिरिक्त ऊर्जा साइटोप्लाज्म में ही संग्रहित हो जाती है। अवांछित सामग्री खाद्य वैक्यूल में बनी हुई होती है और अब इस अवांछित सामग्री को उत्सर्जित किया जाना होता है।

दोबारा, साइटोप्लाज्म सेल मेम्ब्रेन सीमा की ओर वैक्यूल को धक्का देता है और उस भाग में सेल मेम्ब्रेन को तोड़ देता है और इसी के साथ अपशिष्ट बाहर निकल जाता है।

(Amiba Kya Hai) इस प्रक्रिया से ऊर्जा का उपयोग अन्य जीवित जीवों की तरह अन्य शारीरिक कार्यों को विकसित करने, पुनरुत्पादन, रिपेयर और निष्पादित करने के लिए किया जाता है।

अमीबा में भोजन और पाचन की प्रक्रिया

(Amiba Kya Hai) अमीबा में न्यूट्रीशन का एक होलोज़िक मोड होता है और प्रक्रिया को “फागोसाइटोसिस” के रूप में जाना जाता है। न्यूट्रीशन में शामिल बुनियादी प्रक्रियाए निम्नलिखित हैं:

  • इंजेशन(Ingestion)

अमीबा इस प्रक्रिया के माध्यम से अपने भोजन को लेता है। प्रारंभ में, यह अपने स्यूडोपोडिया या झूठे पैर को धक्का देता है ताकि यह भोजन को घेर सके।

इसके बाद, यह भोजन को घेरता है, इस प्रकार खाद्य वैक्यूल नामक एक बैग जैसी संरचना बना जाती हैं। इस प्रक्रिया को “फागोसाइटोसिस” (phagocytosis) के रूप में जाना जाता है।

  • पाचन(Digestion)

(Amiba Kya Hai) यह कदम इंजेशन को फॉलो करता है। खाद्य वैक्यूल्स विभिन्न डाईजेस्टिव एंजाइमों में समृद्ध होते हैं। इन एंजाइमों में बड़े अघुलनशील खाद्य पदार्थों को तोड़ने के परिणामस्वरूप साधारण घुलनशील अणु उत्पन्न होते हैं।

  • अब्सॉर्प्शन(Absorption)

(Amiba Kya Hai) यह अवांछित खाद्य सामग्री को पीछे छोड़कर साइटोप्लाज्म में पचाने वाली खाद्य सामग्री के अवशोषण की प्रक्रिया है। कभी-कभी अमीबा भोजन की बड़ी मात्रा को अब्सॉर्ब करता है।

लेकिन सवाल है कि आखिर अतिरिक्त भोजन का क्या होता है? खैर, अतिरिक्त भोजन ग्लाइकोजन के साथ ही लिपिड के रूप में जमा हो जाता है।

  • एस्सिमिलेशन(Assilmilation)

(Amiba Kya Hai) यह “यूटिलाइजेशन” प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के दौरान, अवशोषित भोजन का उपयोग ऊर्जा उत्पादन, विकास, मरम्मत(repair) के साथ-साथ गुणा(multiplication)के लिए भी किया जाता है।

  • एजेशन(Egestion)

अंत में, सेल मेम्ब्रेन टूट जाती है ताकि अवांछित खाद्य सामग्री को शरीर से बाहर फेंक दिया जाए।

अमीबा कैसे प्रजनन करता है?

  • एक अमीबा बाइनरी विखंडन द्वारा प्रजनन करता है।
  • अमीबा एक प्रकार का एककोशिकीय जीव है जो अपने आकार को बदलने की क्षमता रखता है, मुख्य रूप से स्यूडोपोड्स को बढ़ाने और खिचने के द्वारा।
  • प्रोकैरियोट्स (बैक्टीरिया), प्रोटिस्ट्स (अमीबा, पैरामीसियम, युग्लीना, आदि) और यूकैरियोटिक कोशिका-अंगों जैसे माइटोकोंड्रिया और क्लोरोप्लास्ट द्वि विभाजन के साथ अलैंगिक प्रजनन करते हैं।
  • इस प्रक्रिया में, माता-पिता कोशिकाओं को विभाजित करके दो समान बेटी कोशिकाएं बनती हैं।
  • विभिन्न प्रोटिस्ट में विखंडन/विभाजन का अक्ष भिन्न होता है। उदा.: अमीबा विशिष्ट आकार की कमी के कारण किसी भी आकार में विभाजित होता है; इसलिए इसे ‘सरल द्वि विभाजन’ कहा जाता है।
  • पैरामीसियम अनुप्रस्थ बाइनरी विखंडन ’से विभाजित करता है, जबकि युग्लीना अनुदैर्ध्य द्वि विभाजन द्वारा होता है।
  • बाइनरी विखंडन आमतौर पर अनुकूल परिस्थितियों यानी प्रचुर खाद्य सामग्री की उपलब्धता के दौरान जीवित जीवों द्वारा किया जाता है।

अमीबा में द्विखण्डन की विधि

  • जीव विज्ञान में एक कोशिका दो भागों में विभाजित है के माध्यम से दो नई कोशिकाओं का निर्माण करने के लिए परिभाषित किया गया है कहा जाता है ।
  • बैक्टीरिया और adygeyans बैक्टीरिया और archaebacteria के लिए acentric प्रोकीर्योट्स कहते हैं. वे किया था, एक प्रकार की अलैंगिक प्रजनन और कोशिका विभाजन.
  • इसके अलावा कुछ सुंदर जीव, यूकेरियोटिक जीवों की कुछ लड़कियाँ भी परिभाषित कर रहे हैं केवल लोगों को. परिभाषित विभाजन वार्ता spindles के निर्माण के बिना एक ही होता है ।
  • पहले एक डीएनए अणु प्रिंट है. के बाद इन प्रिंट डीएनए, एक कोशिका झिल्ली के विभिन्न भागों में संयुक्त हो जाते हैं । जब सेल में विभक्त होने लगता है तो नायक गुणसूत्और मूल गुणसूत्र बंट रहे हैं.
  • इस प्रकार की अलैंगिक प्रजनन का परिणाम यह है कि सभी कोशिकाओं के द्वारा बढ़ाया दृष्टि के समान होती हैं, अर्थात् है, लेकिन सभी एक ही आनुवंशिक पदार्थ है.

अमीबा में बहुखंडन की विधि

  • बहुखंडन में एक कोशिक जीव एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं।
  • बहुखंडन में सिस्ट बनता है।
  • उदाहरण : काला जा़र के रोगाणु, लेसमानियां और मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम में बहुखंडन होता है

 

 

Amiba Kya Hai अमीबा क्या है | :- आशा करता हूं कि हमारे द्वारा डाली गई यह पोस्ट जो कि अमीबा क्या है (Amiba Kya Hai) को स्पष्ट रुप से बताने के लिए डाली गई है, आपको पढ़ने के बाद अच्छी लगी होगी।

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