Cell in Hindi
आप सब यहाँ कोशिका क्या है Cell in Hindi | का Branches और Cell in Hindi के सभी Definition के बारें में पढ़ सकते हैं।आज हम आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से | Cell in Hindi का Branches और के सभी भाग के बारे में संपूर्ण जानकारी Hindi में आपको प्रदान करेंगे।
इस पोस्ट में हम Cell in Hindi है | को समझाने के लिए Cell in Hindi की परिभाषा के माध्यम से और Cell in Hindi | का Branches और जो कि Hindi में हैं इनकी सहायता से आपको समझाने का भरपूर प्रयास करेंगे।
कोशिका क्या है (What is Cell)
(Cell in Hindi) कोशिका (Cell) सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है और प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है। यह विभिन्न पदार्थों का वह छोटे-से-छोटा संगठित रूप है जिसमें वे सभी क्रियाएँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें हैं।
‘कोशिका’ का अंग्रेजी शब्द सेल (Cell) लैटिन भाषा के ‘शेलुला’ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ ‘एक छोटा कमरा’ है। कुछ सजीव जैसे जीवाणुओं के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं, उन्हें एककोशकीय जीव कहते हैं
जबकि कुछ सजीव जैसे मनुष्य का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उन्हें बहुकोशकीय सजीव कहते हैं। कोशिका की खोज रॉबर्ट हूक ने 1665 ई० में किया। 1839 ई० में श्लाइडेन तथा श्वान ने कोशिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया
जिसके अनुसार सभी सजीवों का शरीर एक या एकाधिक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है तथा सभी कोशिकाओं की उत्पत्ति पहले से उपस्थित किसी कोशिका से ही होती है।
सजीवों की सभी जैविक क्रियाएँ कोशिकाओं के भीतर होती हैं। कोशिकाओं के भीतर ही आवश्यक आनुवांशिक सूचनाएँ होती हैं जिनसे कोशिका के कार्यों का नियंत्रण होता है तथा सूचनाएँ अगली पीढ़ी की कोशिकाओं में स्थानान्तरित होती हैं
कोशिकाओं का विधिवत अध्ययन कोशिका विज्ञान (Cytology) या ‘कोशिका जैविकी’ (Cell Biology) कहलाता है।
Cell Meaning in Hindi (हिंदी में मतलब)
cell – तहखाना
Cell is a english word.
आविष्कार एवं अनुसंधान का इतिहास
(History of Inventions and Research)
(Cell in Hindi) रॉबर्ट हुक ने 1665 में बोतल की कार्क की एक पतली परत के अध्ययन के आधार पर मधुमक्खी के छत्ते जैसे कोष्ठ देखे और इन्हें कोशा नाम दिया। यह तथ्य उनकी पुस्तक माइक्रोग्राफ़िया में छपा। राबर्ट हुक ने कोशा-भित्तियों के आधार पर कोशा शब्द प्रयोग किया।
1674 एंटोनी वॉन ल्यूवेन्हॉक ने जीवित कोशा का सर्वप्रथम अध्ययन किया।
उन्होंने जीवित कोशिका को दाँत की खुरचनी में देखा था ।
1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने कोशिका में ‘केंद्रक एवं केंद्रिका’ का पता लगाया।
तदरोचित नामक वैज्ञानिक ने 1824 में कोशिका सिद्धांत (cell theory) का विचार प्रस्तुत किया, परन्तु इसका श्रेय वनस्पति-विज्ञान-शास्त्री श्लाइडेन (Matthias Jakob Schleiden) और जन्तु-विज्ञान-शास्त्री श्वान (Theodor Schwann) को दिया जाता है जिन्होंने ठीक प्रकार से कोशिका सिद्धांत को (1839 में) प्रस्तुत किया और बतलाया कि ‘कोशिकाएं पौधों तथा जन्तुओं की रचनात्मक इकाई हैं।’
1855 रुडॉल्फ विर्चो ने विचार रखा कि कोशिकाएँ सदा कोशिकाओं के विभाजन से ही पैदा होती हैं।
1953 वाट्सन और क्रिक (Watson and Crick) ने डीएनए के ‘डबल-हेलिक्स संरचना’ की पहली बार घोषणा की।
1981 लिन मार्गुलिस (Lynn Margulis) ने कोशिका क्रम विकास में ‘सिबियोस’ (Symbiosis in Cell Evolution) पर शोधपत्र प्रस्तुत किया।
188 में वाल्डेयर (Waldeyer) ने गुणसूत्र (Chromosome) का नामकरण किया ।
1883 ईमें स्विम्पर (ने पर्णहरित (Chloroplast) Schimper) का नामकरण किया ।
1892 में वीजमैन (Weissman) ने सोमेटोप्लाज़्म (Somatoplasm) एवं जर्मप्लाज्म (Germplasm) के बीच अंतर स्पष्ट किया।
1955 में जी.इ पैलेड (G.E. Palade) ने राइबोसोम (Ribosome) की खोज की।(Cell in Hindi)
कोशिका कितने प्रकार के होते है
(What are the Types of Cells)
(Cell in Hindi) दो प्रकार की कोशिकाएँ यूकैरोटिक (बाएँ) तथा प्रोकैरिओटिक (दाएँ) कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं,
- प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cells)
2. यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cell)
प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cells) किसे कहते है
(Cell in Hindi) प्रोकैरियोटिक कोशिकाएँ प्रायः स्वतंत्र होती हैं
प्रोकैरियोटिक कोशिका में कोई स्पष्ट केन्द्रक नहीं होता है।
इनमें पाए जाने वाले अल्पविकसित केन्द्रक को केंद्रकाभ कहते है जो कोशिका द्रव में बिखरे होते हैं।
इस प्रकार की कोशिका जीवाणु तथा नीली हरी शैवाल में पायी जाती है।
सभी उच्च श्रेणी के पौधों और जन्तुओं में यूकैरियोटिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है।
यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cell) किसे कहते है
(Cell in Hindi) यूकैरियोटिक कोशिकाएँ, बहुकोशीय प्राणियों में पायी जाती हैं। भी यूकैरियोटिक कोशिकाओ में संगठित केन्द्रक पाया जाता है जो एक आवरण से ढका होता है।
कोशिका संरचना (Cell Structure)
(Cell in Hindi) कोशिकाएँ सजीव होती हैं तथा वे सभी कार्य करती हैं, जिन्हें सजीव प्राणी करते हैं।
इनका आकार अतिसूक्ष्म तथा आकृति गोलाकार, अंडाकार, स्तंभाकार, रोमकयुक्त, कशाभिकायुक्त, बहुभुजीय आदि प्रकार की होती है।ये जेली जैसी एक वस्तु द्वारा घिरी होती हैं।
इस आवरण को कोशिकावरण (cell membrane) या कोशिका-झिल्ली कहते हैं
यह झिल्ली अवकलीय पारगम्य (selectively permeable) होती है जिसका अर्थ है कि यह झिल्ली किसी पदार्थ (अणु या ऑयन) को मुक्त रूप से पार होने देती है, सीमित मात्रा में पार होने देती है या बिल्कुल रोक देती है। इसे कभी-कभी ‘जीवद्रव्य कला’ (plasma membrane) भी कहा जाता है।
इसके भीतर निम्नलिखित संरचनाएँ पाई जाती हैं:-
(1) केंद्रक एवं केंद्रिका
(2) जीवद्रव्य
(3) गोल्गी सम्मिश्र या गोल्गी यंत्र
(4) कणाभ सूत्र
(5) अंतर्प्रद्रव्य डालिका
(6) गुणसूत्र (पितृसूत्र) एवं जीन
(7) राइबोसोम तथा सेन्ट्रोसोम
(8) लवक
(Cell in Hindi) कुछ खास भिन्नताओं को छोड़ सभी प्रकार की कोशिकाओं, पादप एवं जन्तु कोशिका की संरचना लगभग एक जैसी होती है। ये सजीव और निर्जीव दोनों तरह की इकाईयों से मिलकर बनी होती हैं। एक सामान्य कोशिका या प्रारूपिक कोशिका के मुख्य तीन भाग हैं, कोशिकावरण, कोशिका द्रव्य एवं केन्द्रक।
(Cell in Hindi) कोशिकावरण कोशिका का सबसे बाहर का आवरण या घेरा है। पादप कोशिका में कोशिका भित्ति और कोशिका झिल्ली मिलकर कोशिकावरण का निर्माण करते हैं। जन्तु कोशिका में कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती अतः कोशिका झिल्ली ही सबसे बाहरी आवरण है।
(Cell in Hindi) कोशिका झिल्ली एवं केन्द्रक के बीच के भाग को कोशिका द्रव्य कहा जाता है, इसमें विभिन्न कोशिकांग होते हैं। केन्द्रक कोशिका के अन्दर पाये जाने वाली एक गोल एवं सघन रचना है। केन्द्रक को कोशिका का ‘मस्तिष्क’ कहा जाता है। जिस प्रकार शरीर के सारे क्रियायों का नियंत्रण मस्तिष्क करता है ठीक उसी प्रकार कोशिका के सारे कार्यों का नियंत्रण केन्द्रक द्वारा होता है।
केंद्रक (Nucleus) किसे कहते है
(Cell in Hindi) एक कोशिका में सामान्यतः एक ही केंद्रक (nucleus) होता है, किंतु कभी-कभी एक से अधिक केंद्रक भी पाए जाते हैं। कोशिका के समस्त कार्यों का यह संचालन केंद्र होता है। जब कोशिका विभाजित होती है तो इसका भी विभाजन हो जाता है।
केंद्रक कोशिका के भीतर एक तरल पदार्थ कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में प्राय: तैरता रहता है। इसका यद्यपि कोई निश्चित स्थान नहीं होता, तथापि यह अधिकतर लगभग मध्यभाग में ही स्थित होता है। कुछ कोशिकाओं में इसकी स्थिति आधारीय (basal) और कुछ में सीमांतीय (peripheral) भी होती है। केंद्रक की आकृति गोलाकार, वर्तुलाकार या अंडाकार होती है।
तथापि, कभी-कभी यह बेलनाकार, दीर्घवृत्ताकार, सपात, शाखान्वित, नाशपाती जैसा, भालाकार आदि स्वरूपों का भी हो सकता है। इसके भीतर केंद्रकरस (nuclear sap) केंद्रिका (nucleolus) तथा पितृसूत्र (chromosomes) पाए जाते हैं। केंद्रक के आवरण को केंद्रककला (nuclear membrance or nucleolemma) कहते हैं।
केंद्रिका (Nucleolus) किसे कहते है
(Cell in Hindi) प्रत्येक केंद्रक में एक या अधिक केंद्रिकाएँ पाई जाती हैं। कोशिका विभाजन की कुछ विशेष अवस्था में केंद्रिका लुप्त हो जाती, किंतु बाद में पुन: प्रकट हो जाती है। केंद्रिका के भीतर रिबोन्यूक्लीइक अम्ल (ritioncleric acid or RNA) तथा कुछ विशेष प्रकार के एंज़ाइम अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। केंद्रिका सूत्रण (mitosis) या सूत्री विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
जीवद्रव्य (Protoplasm) किसे कहते है
(Cell in Hindi) यह एक गाढ़ा तरल पदार्थ होता है जो स्थानविशेष पर विशेष नामों द्वारा जाना जाता है; जैसे, द्रव्यकला (plasma membrane) तथा केंद्रक के मध्यवर्ती स्थान में पाए जाने वाले जीवद्रव्य को कोशिकाद्रव्य (cyt plasm) और केंद्रक झिल्ली (nuclear membrane) के भीतर पाए जाने वाले जीवद्रव्य को केंद्रक द्रव्य (nucleoplasm) कहते हैं।
कोशिका का यह भाग अत्यंत चैतन्य और कोशिका की समस्त जैवीय प्रक्रियाओं का केंद्र होता है। इसे इसीलिए ‘सजीव’ (living) कहा जाता है। जीव वैज्ञानिक इसे ‘जीवन का भौतिक आधार’ (physcial basis of life) नाम से संबोधित करते हैं।
आधुनिक जीव वैज्ञानिकों ने जीवद्रव्य का रासायनिक विश्लेषण करके यह तो पता लगा लिया है कि उसका निर्माण किन-किन घटकों द्वारा हुआ है, किंतु आज तक किसी भी वैज्ञानिक को उसमें (जीवद्रव्य) प्राण का संचार करने में सफलता हाथ नहीं लगी है। ऐसा है यह प्रकृति का रहस्यमय पदार्थ।
जीवद्रव्य का निर्माण कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन तथा अनेक कार्बनिक (organic) तथा अकार्बनिक (inorganic) पदार्थो द्वारा हुआ होता है।
इसमें जल की मात्रा लगभग 80% प्रोटीन 15%, वसाएँ 3% तथा कार्बोहाइड्रेट 1% और अकार्बनिक लवण की 1 होती है। जीवद्रव्यों के कई प्रकार होते हैं, जैसे कोलाइड (colloid), कणाभ (granular), तंतुमय (fibrillar), जालीदार (reticular), कूपिकाकार (alveolar), आदि।
गोल्गी सम्मिश्र या यंत्र (Golgi Complex or Apparatus)
(Cell in Hindi) इस अंग का यह नाम इसके खोजकर्ता कैमिलो गोल्गी, के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने 1898 में सर्वप्रथम इसकी खोज की। यह अंग साधारणतः केंद्रक के समीप, अकेले या समूहों में पाया जाता है। इसकी रचना तीन तत्वों (elements) या घटकों (components) द्वारा हुई होती है
सपाट कोश (flattened sacs), बड़ी बड़ी रिक्तिकाएँ (large vacueles) तथा आशय (vesicles)। यह एक प्रकार के जाल (network) जैसा दिखलाई देता है। इनका मुख्य कार्य कोशिकीय स्रवण (cellular secretion) और प्रोटीनों, वसाओं तथा कतिपय किण्वों (enzymes) का भडारण करना (storage) है।
कणाभसूत्र (Mitochondria)
(Cell in Hindi) ये कणिकाओं (granules) या शलाकाओं (rods) की आकृतिवाले होते हैं। ये अंगक (organelle) कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में स्थित होते हैं। इनकी संख्या विभिन्न जंतुओं में पाँच लाख तक हो सकती है। इनका आकार 1/2 माइक्रॉन से लेकर 2 माइक्रॉन के बीच होता है।
विरल उदाहरणों (rare cases) में इनकी लंबाई 40 माइक्रॉन तक हो सकती है। इनके अनेक कार्य बतलाए गए हैं, जो इनकी आकृति पर निर्भर करते हैं। तथापि इनका मुख्य कार्य कोशिकीय श्वसन (cellular respiration) बतलाया जाता है। इन्हें कोशिका का ‘पावर प्लांट’ (power plant) कहा जाता है, क्योंकि इनसे आवश्यक ऊर्जा (energy) की आपूर्ति होती रहती है।
अंतर्प्रद्रव्य जालिका (fndoplasmic reticulum)
(Cell in Hindi) यह जालिका कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में आशयों (vesicles) और नलिकाओं (tubules) के रूप में फैली रहती है। इसकी स्थिति सामान्यतः केंद्रकीय झिल्ली (nuclear membrane) तथा द्रव्यकला (plasma membrane) के बीच होती है, किंतु यह अक्सर संपूर्ण कोशिका में फैली रहती है। यह जालिका दो प्रकार की होती है
चिकनी सतहवाली (smooth surfaced) और खुरदुरी सतहवाली (rough surfaced)। इसकी सतह खुरदुरी इसलिए होती है कि इस पर राइबोसोम (ribosomes) के कण बिखरे रहते हैं। इसके अनके कार्य बतलाए गए हैं, जैसे यांत्रिक आधारण (mechanical support), द्रव्यों का प्रत्यावर्तन (exchange of materials), अंत: कोशिकीय अभिगमन (intracellular transport), प्रोटोन संश्लेषण (protein synthesis) इत्यादि।
गुणसूत्र या पितृसूत्र (Chromosomes)
(Cell in Hindi) यह शब्द क्रोम (chrom ) तथा सोमा (soma ) शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है रंगीन पिंड (colour bodies)। गुणसूत्र केंद्रकों के भीतर जोड़ों (pairs) में पाए जाते हैं और कोशिका विभाजन के साथ केंद्रक सहित बाँट जाया करते हैं। इनमें स्थित जीवों की पूर्वजों के पैत्रिक गुणों का वाहक कहा जाता है।
इनकी संख्या जीवों में निश्चित होती है, जो एक दो जोड़ों से लेकर कई सौ जोड़ों तक हो सकती है। इनका आकार 1 माइक्रॉन से 30 माइक्रोन तक (लंबा) होता है। इनकी आकृति साधारणतः अंग्रेजी भाषा के अक्षर S जैसी होती हैं।
इनमें न्यूक्लिओ-प्रोटीन (nucle-o-protein) मुख्य रूप से पाए जाते हैं। पितृसूत्रों के कुछ विशेष प्रकार भी पाए जाते हैं, जिन्हें लैंपब्रश पितृसूत्र (lanmpbrush chromosomes) और पोलीटेने क्रोमोसोम (polyteene chromosomes) की संज्ञा दी गई है। इन्हें W, X, Y, Z, आदि नामों से संबोधित किया जाता है।
जीन (Gene)
(Cell in Hindi) जीनों को पैत्रिक गुणों का वाहक (carriers of hereditary characters) माना जाता है। क्रोमोसोम या पितृसूत्रों का निर्माण हिस्टोन प्रोटीन तथा डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक ऐसिड DNA तथा राइबोन्यूक्लिक ऐसिड RNA से मिलकर हुआ होता है। जीन का निर्माण इन्हीं में से एक, डी॰ एन॰ ए॰ द्वारा होता है।
कोशिका विभाजनों के फलस्वरूप जब नए जीव के जीवन का सूत्रपात होता है, तो यही जीन पैतृक एवं शरीरिक गुणों के साथ माता पिता से निकलकर संततियों में चले जाते हैं। यह आदान प्रदान माता के डिंब (ovum) तथा पिता के शुक्राणु (sperms) में स्थित जीनों के द्वारा संपन्न होता है।
सन् 1970 के जून मास में अमरीका स्थित भारतीय वैज्ञानिक श्री हरगोविंद खुराना को कृत्रिम जीन उत्पन्न करने में अभूतपूर्व सफलता मिली थी। इन्हें सन् 1978 में नोबेल पुरस्कार मिला था।
रिबोसोम (Ribosomes)
(Cell in Hindi) सूक्ष्म गुलिकाओं के रूप में प्राप्त इन संरचनाओं को केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रॉस्कोप के द्वारा ही देखा जा सकता है। इनकी रचना 50% प्रोटीन तथा 50% आर॰ एन॰ ए॰ द्वारा हुई होती है। ये विशेषकर अंतर्प्रद्रव्य जालिका के ऊपर पाए जाते हैं। इनमें प्रोटीनों का संश्लेषण होता है।
सेंट्रोसोम (Centrosomes)
(Cell in Hindi) सेंट्रोसोम (centrosomes)– ये केंद्रक के समीप पाए जाते हैं। इनके एक विशेष भाग को सेंट्रोस्फीयर (centrosphere) कहते हैं, जिसके भीतर सेंट्रिओलों (centrioles) का एक जोड़ा पाया जाता है। कोशिका विभाजन के समय ये विभाजक कोशिका के ध्रुव (pole) का निर्धारण और कुछ कोशिकाओं में कशाभिका (flagella) जैसी संरचनाओं को उत्पन्न करते हैं।
लवक (Plastids)
(Cell in Hindi) लवक अधिकतर पौधों में ही पाए जाते हैं। ये एक प्रकार के रंजक कण (pigment granules) हैं, जो जीवद्रव्य (protoplasm) में यत्र तत्र बिखरे रहते हैं। क्लोरोफिल (chlorophyll) धारक वर्ण के लवक को हरित् लवक (chloroplas) कहा जाता है।
इसी के कारण वृक्षों में हरापन दिखलाई देता है। क्लोरोफिल के ही कारण पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) करते हैं। कुछ वैज्ञानिकों के मतानुसार लवक कोशिकाद्रव्यीय वंशानुगति (cytoplasmic inheritance) के रूप में कोशिका विभाजन के समय संतति कोशिकाओं में सीधे सीधे स्थानांतरित हो जाते हैं।
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कोशिका क्या है (Cell in Hindi) | :- आशा करता हूं कि हमारे द्वारा डाली गई यह पोस्ट जो कि कोशिका क्या है (Cell in Hindi) को स्पष्ट रुप से बताने के लिए डाली गई है, आपको पढ़ने के बाद अच्छी लगी होगी।
जिससे आप को समझने में आसानी हो और आपको कोशिका क्या है (Cell in Hindi) को समझने में किसी भी प्रकार की परेशानी आ रही है तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से आप उस समस्या को हमसे पूछ सकते हैं
कोशिका को आकृति कौन प्रदान करता है what gives shape to the Cell ?)?
कोशिका भित्ति में दो परतें होती हैं जिनके मध्य लमेला नामक दीवाल होती है। कोशिका भित्ति का मुख्य कार्य कोशिका को आकृति प्रदान करना एवं प्रोटोप्लाज्म की रक्षा करना है।
सबसे छोटी पादप कोशिका कौन सी है?
यह उत्तर आपके लिए कुछ ज्यादा उपयोगी हो सकता है
मानव शरीर की सबसे बड़ी कोशिका तंत्रिका तंत्र हैं जो मस्तिष्क में पाया जाता है।
2.सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा है.कोशिका (Cell) सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है और प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है
कोशिका को कैसे देखा जा सकता है?
कोशिका की खोज रॉबर्ट हूक ने १६६५ ई० में किया। १८३९ ई० में श्लाइडेन तथा श्वान ने कोशिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया जिसके अनुसार सभी सजीवों का शरीर एक या एकाधिक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है तथा सभी कोशिकाओं की उत्पत्ति पहले से उपस्थित किसी कोशिका से ही होती है। सजीवों की सभी जैविक क्रियाएँ कोशिकाओं के भीतर होती हैं।
जीवित कोशिका के अंदर बनने वाले प्रोटीन को क्या कहा जाता है?
राइबोसोम सभी जीवित कोशिकाओं में पाए जाते हैं, ये अन्त:प्रद्व्यी जालिका से जुड़े रहते हैं. ये माइटोकॉन्ड्रिया, हरित लवक एवं केन्द्रक में भी पाए जाते हैं. अर्थार्त राइबोसोम एक जटिल आणविक मशीन है जो जीवित कोशिकाओं के अंदर पाए जाते हैं जो प्रोटीन संश्लेषण नामक प्रक्रिया में अमीनो एसिड से प्रोटीन को बनाते हैं.
कोशिका द्रव्य कहाँ स्थित होता है?
कोशिका मे कोशिका झिल्ली के अंदर केन्द्रक को छोड़कर सम्पूर्ण पदार्थों को कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) कहते हैं। यह सभी कोशिकाओं में पाया जाता है तथा कोशिका झिल्ली के अंदर तथा केन्द्रक झिल्ली के बाहर रहता है। यह रवेदार, जेलीनुमा, अर्धतरल पदार्थ है। यह पारदर्शी एवं चिपचिपा होता है।
जीवित कोशिका के अंदर बनने वाले प्रोटीन को क्या कहा जाता है?
राइबोसोम सभी जीवित कोशिकाओं में पाए जाते हैं, ये अन्त:प्रद्व्यी जालिका से जुड़े रहते हैं. ये माइटोकॉन्ड्रिया, हरित लवक एवं केन्द्रक में भी पाए जाते हैं. अर्थार्त राइबोसोम एक जटिल आणविक मशीन है जो जीवित कोशिकाओं के अंदर पाए जाते हैं जो प्रोटीन संश्लेषण नामक प्रक्रिया में अमीनो एसिड से प्रोटीन को बनाते हैं.