हेलो दोस्तों आपका स्वागत हमारे ब्लॉग examenglishhindi.com में आज के आर्टिकल में हम पढ़ेंगे की हिन्दी मात्रा की सम्पूर्ण जानकारी | हिंदी मात्रा सीखें – Hindi Matra इसके अंतर्गत हम हिंदी मात्रा क्या है(Hindi Matra kya Hain), हिंदी मात्रा का निर्माण (Hindi Matra ka Nirman) और हिंदी मात्रा का प्रयोग (Hindi Matra ka Pryog) सीखेंगे।
दोस्तो मात्राएँ कभी-भी व्यंजन (Consonants) की नहीं होती है, वह स्वर (vowels) की होती है। हम सभी व्यंजन (Consonants) को बोलने के लिए स्वरों (vowels) की मात्राओं का इस्तेमाल करते है। स्वर (vowels) की आवाज के लिए हमें कोई चिह्न चाहिए होता है, जिसे हम मात्रा(Hindi Matra)कहते है।
मात्राओं की संख्या 11 होती है परन्तु ’अ’ की कोई मात्रा नहीं होती, इसलिए हम दस मात्राओं का ही इस्तेमाल करते है। मात्राएँ हमेशा स्वर की ही होती है क्योंकि वे स्वतंत्र होती है। व्यंजन का उपयोग बिना स्वर के नहीं होता है क्योंकि हमेशा व्यंजनों को पूरा लिखने के लिए स्वरों की सहायता ली जाती है।
हिन्दी में शब्दों और वाक्यों को लिखने के लिए मात्राओं की आवश्यकता होती है इसीलिए हिंदी वर्णमाला को दो भागों में बांटा गया है:
1. स्वर
2. व्यंजन
मात्रा किसे कहते हैं ? (Hindi Matra kya Hain)
मात्रा स्वर का ही एक रूप होता है। जो स्वर का ही प्रतिनिधित्व करता है मात्राओं की संख्या ग्यारह होती है। लेकिन दृश्य रूप में मात्राओं की संख्या दश होती है।
हम सभी जानते हैं कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमें किसी अक्षर या वर्ण के चारों तरफ मात्राएं लगती है। अब ऐसे में किसी वर्ण के पहले मात्रा लगती है, जिसे छोटी मात्रा कहा जाता है| किसी वर्ण के पीछे मात्रा लगती है जिसे बड़ी मात्रा कहा जाता है|
ऐसे में कुछ मात्राएं ऐसी होती हैं जो वर्ण के ऊपर लगती हैं, तो ऐसी मात्राओं को उपली मात्रा कहा जाता है, और कुछ मात्राएं वर्ण के नीचे लगती हैं, तो इन्हे निचली मात्रा कहा जाता है| अब ऐसे में कुछ मात्राएं ऐसी होती हैं जो वर्ण के बीच में लगती हैं, उदाहरण के लिए – क्रिया, रूपक| इनमें र की मात्रा क पर लग रही है, और दूसरे में ू की मात्रा र पर|
क्योकि ‘अ’ स्वर की मात्रा अलग रूप से नहीं लिख सकते हैं। इसलिए ‘अ’ स्वर को ‘उदासीन स्वर’ कहते हैं।
मात्रा उदाहरण
उदासीन स्वर – यह उदासीन स्वर है अथवा आप यह कह सकते हैं की अ एक उदासीन स्वर है और जब हम किसी शब्द में कोई मात्रा नहीं लगाते हैं तो वो उदासीन स्वर होता है – जैसे की कम, बम, वन
- स्वर – मात्रा
- अ – उदासीन स्वर
- आ – ा (राम, आम, काम)
- इ – ि (लिख, पित, मिट)
- ई – ी (रीत, प्रीत, मीत)
- उ – ु (गुम, चुप, छुप)
- ऊ – ू (मून, दून)
- ऋ – ृ (वृद्धि, वृचक, तृप्त)
- ए – े (रेत, सेठ, मेट)
- ऐ – ै (पैसा, कैसा, जैसा)
- ओ – ो (मोल, ढोल, टोल)
- औ – ौ (औसत, नौबत, लौटा)
- अं ां (गंगा)
- अ: ाः (अतः)
मात्रा के प्रकार
- ह्रस्व (4) – अ, इ, उ, ऋ
- इसे ( । ) चिन्ह के द्वारा दर्शाते हैं।
- दीर्घ (7) – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
- इसे (s) चिन्ह के द्वारा दर्शाते हैं।
शब्दों मेँ मात्रा की संख्या गिनने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण दिये गए हैं जिसे ध्यानपूर्वक पढ़ें –
‘कमल’ शब्द मेँ कितनी मात्राएं हैं ?
- कमल = क् + अ (।) + म् + अ (।) + ल् + अ (।) = तीन मात्रा
‘कोमल’ शब्द मेँ कितनी माताएँ हैं ?
- कोमल = क् + ओ(s) + म् + अ(।) + ल् + अ(।) = चार मात्रा
शब्दों मे वर्णों की संख्या बताने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण दिये गए हैं जिसे ध्यानपूर्वक पढ़ें –
‘कमल’ शब्द मेँ वर्णो की संख्या बताइए।
- कमल = क् + अ + म् + अ + ल् + अ
वर्णो की कुल संख्या पाँच है।
महत्वपूर्ण नोट्स – यदि किसी शब्द मेँ अन्तिम ध्वनि ‘अ’ हो तो उसे नहीं गिना जाता है।
‘शेरनी’ शब्द मेँ वर्णो की संख्या बताइए।
श् + ए + र् + अ + न् + ई
वर्णो की कुल संख्या छः है।
इन्हे भी पढ़े
- E-Shram Card Benefits in Hindi ई श्रम कार्ड के फायदे
- Jharkhand Petrol Subsidy Apply Online 2022 झारखंड पेट्रोल सब्सिडी योजना
- पारिस्थितिक अनुक्रमण की परिभाषा क्या है Ecological Succession In Hindi
- अंतर्द्रव्यी जालिका क्या है What is Endoplasmic Reticulum in Hindi
- स्टेट स्पेसिफिक आईडी क्या है What Is State Specific Id In Hindi
Hindi Matra :- अगर आपने Hindi Matra को यहाँ तक पढ़ा है तो मुझे पूरी तरह उम्मीद है की आपको Hindi Matra अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा| इस Artical में अगर आपको कोई भी Problem हो तो हमें Comment के माध्यम से पूछ सकते है | अगर आपको यह Artical अच्छा लगा तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करे
Hindi Matra FAQ
हिंदी में मात्रा कितनी होती हैं?
मात्रा स्वर का ही एक रूप होता है। जो स्वर का ही प्रतिनिधित्व करता है मात्राओं की संख्या ग्यारह होती है। लेकिन दृश्य रूप में मात्राओं की संख्या दश होती है।
मात्राएँ कितने प्रकार की होती हैं?
मात्राएं तीन प्रकार की होती है। ह्रस्व ,दीर्घ, और प्लुत।
मात्राएं कैसे बोली जाती है?
लेकिन वास्तव में यह बारहखड़ी होती है. इसको बारहखड़ी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें अक्षरों के ऊपर बारह मात्राओं को लगाया जाता है इसलिए इनको बारहखड़ी बोला जाता है. लेकिन ऋ मात्राएं को छोड़कर जितनी भी मात्राएं है उन सभी का प्रयोग अक्षर के ऊपर किया जाता है. उनको बारहखड़ी बोला जाता है.
हिन्दी में व्यंजनवर्णो की संख्या कितनी है?
हिंदी के लिए प्रयुक्त देवनागरी लिपि में कुल 52 वर्ण हैं, जिनमें 11 मूल स्वर वर्ण (जिनमें से ‘ऋ’ का उच्चारण अब स्वर जैसा नहीं होता), 33 मूल व्यंजन, 2 उत्क्षिप्त व्यंजन, 2 अयोगवाह और 4 संयुक्ताक्षर व्यंजन हैं।
संयुक्त व्यंजन कितने होते हैं?
संयुक्त व्यंजन की हिंदी वर्णमाला में कुल संख्या 4 है जो की निम्नलिखित हैं। संयुक्त व्यंजन से बने शब्दों के कुछ उदहारण इस प्रकार हैं। क्ष – मोक्ष, अक्षर, परीक्षा, क्षय, अध्यक्ष, समक्ष, कक्षा, मीनाक्षी, क्षमा, यक्ष, भिक्षा, आकांक्षा, परीक्षित।