- आप सब यहाँ Holi Par Nibandh In Hindi के बारें में पढ़ सकते हैं।आज हम आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से हिन्दी में Holi Par Nibandh के बारे में संपूर्ण जानकारी Hindi में आपको प्रदान करेंगे।
- यही आशा करता हूं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप सब होली पर निबंध (Holi Par Nibandh In Hindi) को सही तरीके से समझ पाएंगे।
Holi Par Nibandh In Hindi
होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग (Holi Par Nibandh In Hindi) अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ीं हैं। होली मनाने के एक रात पहले होली को जलाया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है।
Holi Par Nibandh In Hindi :- होली भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में जाना जाने लगा है। यह प्रमुख रूप से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है। मंजीरा, ढोलक, मृदंग की ध्वनि से गूंजता रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह के पूर्णिमा को मनाया जाता है। (Holi Par Nibandh In Hindi) मार्च का महिना जैसे होली के उत्तेजना को बढ़ा देता है। इस त्योहर में सभी की ऊर्जा देखते बनती है पर होली के अवसर पर सबसे अधिक खुश होते हमने बच्चों को देखा है वह रंग-बिरंगी पिचकारी को अपने सीने से लगाए, सब पर रंग डालते और जोर-जोर से “होली है..” कहते पूरे मोहल्ले में भागते फिरते हैं।
परिचय (Introduction Holi Par Nibandh In Hindi)
होली का उत्सव अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और आसमान में बिखरे गुलाल की तरह ऊर्जा को चारों ओर बिखेर देता है। इस पर्व की ख़ास तैयारी में भी लोगों के अंदर बहुत अधिक उत्साह को देखा जा सकता है। अपना घर चलाने के लिए जो पेशेवर घरों से दूर रहते हैं, वह भी होली के समय पर अपने परिवार के पास लौट आते हैं। यह त्योहार हमें हमारे संस्कृति से जोड़ने का कार्य करता है, अतः इस दृष्टी से यह हमारे लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। पुराने समय में होली के अवसर पर जहां मंदिरों में कृष्ण और राम के भजन गूंजते थे, वहीं नगरों में लोगों द्वारा ढोलक मंजिरों के ताल पर लोकगीत गाए जाते थे। पर बदलते समय के साथ इस त्योहार का स्वरूप भी बदलता नज़र आ रहा है।
होली का इतिहास व मनाए जाने का कारण
- भक्त प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वह विष्णु के विरोधी थे जबकि प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं माने तो उन्होंने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया।
- प्रह्लाद के पिता ने आखर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई। होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई।
- पुराणों के अनुसार, विष्णु भक्त प्रह्लाद से क्रोधित होकर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने, पुत्र प्रह्लाद को ब्रह्मा द्वारा वरदान में प्राप्त वस्त्र धारण किए बहन होलिका के गोद में आग से जला देने की मनसा से बैठा दिया। किन्तु प्रभु की महिमा से वह वस्त्र प्रह्लाद को ढ़क लेता है और होलिका जल कर भस्म हो जाती है। इस खुशी में नगरवासियों द्वारा दूसरे दिन होली मनाया गया। तब से होलिका दहन और होली मनाया जाने लगा। होली के एक दिन पहले गावं व शहरों के खुले क्षेत्र में होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। यह भगवान की असीम शक्ति का प्रमाण तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का ज्ञान कराती है।
होली का महत्व
- वसंत आगमन के इस मौसम में फूलों की खुशबू अपनी महक के साथ प्रकृति में बिखरने लगती है। यह भी माना जाता है कि इस दिन ही भगवान शिव ने क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया था, इसलिए इसी दिन से होलाष्टक की शुरुआत हुई।होलाष्टक से जुडी़ मान्यताओं को भारत के कुछ भागों में ही माना जाता है। होलाष्टक मुख्य रूप से पंजाब और उत्तरी भारत में ज्यादा मनाया जाता है। उत्तरप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा आदि राज्यों में अलग-अलग ढंग से होली मनाई जाती है।
- होलिका दहन के पूर्व होलाष्टक 8 दिन का माना जाता है। होलाष्टक में कोई भी नया शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इन आठ दिनों में मांगलिक कार्य, गृह निर्माण और गृह प्रवेश आदि के सभी कार्यों पर रोक रहेगी। होलाष्टक के आठ दिनों में किए गए शुभ कार्य अशुभ फल देते हैं इसलिए इन दिनों कोई भी नया कार्य शास्त्र सम्मत नहीं माना जाता है।
- होलाष्टक संबंधी पौराणिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन अर्थात पूर्णिमा तक होलाष्टक रहता है। इस दिन से सर्दियों के दिन कम होने लगते है और मौसम की बदलाव आना प्रारंभ हो जाता है। दिन में अच्छी-खासी गर्मी का अहसास होने लगता है।
- होलाष्टक की विशेषता यह है कि होलिका पूजन करने के लिए होली से आठ दिन पूर्व होलिका दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखी खास, सूखे उपले, सूखी लकड़ी व होली का डंडा स्थापित कर दिया जाता है। जिस दिन यह कार्य किया जाता है, उस दिन को होलाष्टक प्रारंभ का दिन भी कहा जाता है। जिस स्थान पर होली का डंडा स्थापित किया जाता है, वहां के संबंधित क्षेत्रों में होलिका दहन होने तक कोई शुभ कार्य संपन्न नहीं किया जाता।
- उसके बाद होलाष्टक से लेकर होलिका दहन के दिन तक प्रतिदिन कुछ लकडि़यां इकट्ठी कर उसमें डाल दी जाती है। इस प्रकार होलिका दहन के दिन तक यहां लकडियों का ढेर बन जाता है। फिर मोहल्ले के सभी निवासीजन होलिका दहन करके अच्छे जीवन की कामना करते है और बच्चों की मंडली होली खेलने में रम जाते हैं। 5 दिनों तक मनाए जाने वाले होली के इस पावन पर्व पर सभी के घरों में गुझिया, भजिए-श्रीखंड और पूरन-पोली बनाकर होली का त्योहार मनाया जाता है।
- होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन, परिवार के सभी सदस्य को उबटन (हल्दी, सरसों व दही का लेप) लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं व गांव के सभी घरों से एक-एक लकड़ी होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। आग में लकड़ी जलने के साथ लोगों के सभी विकार भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। होली के कोलाहल (शोर) में, शत्रु के भी गले से लग जाने पर सभी अपना बड़ा दिल कर के आपसी रंजिश भूल जाते हैं।
होली की तैयारी
होली की विशेष तैयारी में एक दिन से ज्यादा का समय लगता है। इस पर्व पर सबके घरों में अनेक पकवान बनाएं जाते हैं जिसमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुन प्रमुख हैं लोग महिनों पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार भी इस त्योहार पर अपने बच्चों के लिए अवश्य ही कपड़े खरीदता है। होली पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के चटकीले रंग, गुलाल, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगे विग से अपने स्टॉल को भर देते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। पर समय बितने के साथ ज्यादातर लोग अब स्वयं से कोई पकवान नहीं बनाते वे हर प्रकार की मिठाइयां बाजार से ही खरीद लेते हैं। इससे त्योहार की धूम का बाजारीकरण में खो जाने का भय है।
होली कैसे मनाई जाती है
होली पर सभी बहुत अधिक उत्साहित होते हैं। बड़े भी बच्चे बन जाते हैं हम उम्र का चेहरा रंगों से ऐसे रंगते हैं की पहचानना मुश्किल हो जाता है वहीं बड़ों को गुलाल लगा उनका आशिर्वाद लेते हैं। अमीर-गरीब, ऊँच- नीच का भेद भुलाकर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नज़र आते हैं। झूमने का एक अन्य कारण भांग और ठंडाई भी है यह होली पर विशेष कर पीया जाता है। घर की महिलाएं सारे पकवान बना कर जहां दोपहर से होली खेलना प्रारंभ करती है वहीं बच्चे सुबह उठने के साथ ही तहलके (उत्साह) के साथ मैदान में आ जाते हैं। दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं और अपने पड़ोसी व मित्रों के घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामना देने जाते हैं। होली पर सभी संस्थान, संस्था व कार्यस्थल में छुट्टी दी जाती है पर छुट्टी से पहले स्कूलों में बच्चे तथा कार्यस्थल पर सभी कार्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।
भारत के विभिन्न राज्यों की होली
ब्रजभूमि की लठमार होली (Holi Par Nibandh In Hindi)
“सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात सारे जग से अनूठी ब्रज की होली है। ब्रज के गांव बरसाना में होली प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाना से। जहां पुरुषों का ध्यान भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगोने में रहता है वहीं महिलाएं खुद का बचाव और उनके रंगों का उत्तर उन्हें लाठियों से मार कर देती है। सच में यह अद्भुत दृश्य होता है।
मथुरा और वृंदावन की होली (Holi Par Nibandh In Hindi)
मथुरा और वृंदावन में होली की अलग छटा नज़र आती है। यहां होली की धूम 16 दिन तक छाई रहती है। लोग “फाग खेलन आए नंद किशोर” और “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” आदि अन्य लोक गीत का गायन कर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।
महाराष्ट्र और गुजरात की मटकी फोड़ होली (Holi Par Nibandh In Hindi)
महाराष्ट्र और गुजरात में होली पर श्री कृष्ण की बाल लीला का स्मरण करते हुए होली का पर्व मनाया जाता है। महिलाएं मक्खन से भरी मटकी को ऊँचाई पर टांगती हैं इन्हें पुरुष फोड़ने का प्रयास करते हैं और नांच गाने के साथ होली खेलते हैं।
पंजाब का “होला मोहल्ला” (Holi Par Nibandh In Hindi)
पंजाब में होली का यह पर्व पुरुषों के शक्ति के रूप में देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान “आनंदपुर साहेब” में छः दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष भाग लेते हैं तथा घोड़े सवारी, तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।
बंगाल की “डोल पूर्णिमा” होली (Holi Par Nibandh In Hindi)
बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा के नाम से होली प्रचलित है। इस दिन पर राधा कृष्ण की प्रतिमा को डोल में बैठा कर पूरे गांव में भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाली जाती है और रंगों से होली खेली जाती है।
मणिपुर की होली (Holi Par Nibandh In Hindi)
होली पर मणिपुर में “थबल चैंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह पर्व पूरे छः दिवस तक नाच-गाने व अनेक तरह के प्रतियोगिता के साथ चलता रहता है।
निष्कर्ष
Holi Par Nibandh In Hindi का निष्कर्ष फाल्गुन की पूर्णिमा से उड़ते गुलाल व ढोलक की ताल से शुरू हुई होली भारत के कोने- कोने में विभिन्न प्रकार से हर्षोंल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पर्व के आनंद में सभी एक-दूसरे के गले लग जाते हैं। होली आनंद से भरा रंगों का त्योहार है यह भारत भूमि पर प्राचीन समय से मनाया जाता है। त्योहारों की ख़ास बात यह है की इसके मस्ती में लोग आपसी बैर तक भूल जाते हैं एवं होली त्योहारों में विशेष स्थान रखता है। परंपरागत विधि से आज इस त्योहार का स्वरूप बहुत अधिक बदल गया है। पहले लोग होली की मस्ती में अपनी मर्यादा को नहीं भूलते थे। लेकिन आज के समय में त्योहार के नाम पर लोग अनैतिक कार्य कर रहें हैं। जैसे एक-दूसरे के कपड़े-फाड़ देना, जबरदस्ती किसी पर रंग डालना आदि। होली पर वह भी रंगों से भीग जाते हैं जो अपने घरों से नहीं निकलना चाहते और जैसे की भिगोने वालों का तकिया कलाम बन चुका होता है “बुरा ना मानो होली है”। कुछ लोग त्योहार का गलत फायदा उठा कर बहुत अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और सड़क पर चल रहीं महिलाओं को परेशान करते हैं। यह सरासर गलत व्यवहार है।
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निष्कर्स (Conclusion) :-
Holi Par Nibandh in Hindi | :- आशा करता हूं कि हमारे द्वारा डाली गई यह पोस्ट जो कि Holi Par Nibandh in Hindi को स्पष्ट रुप से बताने के लिए डाली गई है, आपको पढ़ने के बाद अच्छी लगी होगी।
जिससे आप को समझने में आसानी हो और आपको Holi Par Nibandh in Hindi को समझने में किसी भी प्रकार की परेशानी आ रही है तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से आप उस समस्या को हमसे पूछ सकते हैं।