आप सब यहाँ janan kya hai का Branches और सभी Definition के बारें में पढ़ सकते हैं।आज हम आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से | janan kya hai का Branches और के सभी भाग के बारे में संपूर्ण जानकारी Hindi में आपको प्रदान करेंगे।
इस पोस्ट में हम janan kya hai है | को समझाने के लिए janan kya hai की परिभाषा के माध्यम से और Branches और जो कि Hindi में हैं इनकी सहायता से आपको समझाने का भरपूर प्रयास करेंगे।
जीवन- अवधि (Life-span)
जीवन- अवधि (Life-span) Definition :-
किसी जीव के जन्म को लेकर प्राकृतिक मृत्यु की अवधि को जीवन अवधि कहते है।किसी जीव की जीवन अवधि का उसके आकार से कोई सम्बद्ध नहीं होता है
(janan kya hai) हमारे जन्म से मृत्यु के बीच की कालावधि ही जीवन कहलाती है, जो की हमें ईश्वर द्वारा दिया गया एक वरदान है। लेकिन हमारा जन्म क्या हमारी इच्छा से होता है? नहीं, यह तो मात्र नर और मादा के संभोग का परिणाम होता है जो प्रकृति के नियम के अंतर्गत है। इसके अतिरिक्त जीवन का मुख्य अंग एक चेतन तत्त्व है जो जीवन की सभी क्रियाओं का साक्षी होता है।[3]
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जीवन का तात्पर्य अस्तित्व की उस अवस्था से है जिसमे वस्तु या प्राणी के अन्दर चेष्टा, उन्नति और वृद्धि के लक्षण दिखायी दें। अगर कोई वस्तु चेष्टारहित है तो फिर उसे सजीव या जीवनयुक्त नहीं माना जाता है। दार्शनिकों के अनुसार जीवन का संबंध जीने से है, सिर्फ अस्तित्व का विद्यमान होना ही जीवन का चिन्ह नहीं है।
अभी तक जीवन की कोई सारगर्भित और व्यापक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं दी गयी है, लेकिन ज्यादातर परिभाषाएँ इसी महत्वपूर्ण तथ्य के इर्द-गिर्द घूमती हैं कि “जीवन वह दशा है जो पशुओं, पौधों और दूसरे जीवित प्राणियों को अकार्बनिक और कृत्रिम चीजों से अलग करती है और जिसे सतत चलती रहने वाली चयापचय की क्रिया और वृद्धि की विशेष सामर्थ्य से पहचाना जाता है।”
(janan kya hai) While there is some evidence to show that X-ray irradiation shortens life expectancy in some species , the difficulty arose when these observations could not be confirmed uniformly in other species of animals
हालांकि इस बात के भी कुछ प्रमाण हैं कि कुछ प्रजातियों में एक़्स किरण विकिरण , जीवन अवधि को कम करता है , परंतु कठिनाई तब आई जब इन गणनाओं की जीवों की अन्य प्रजातियों में समान रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी .
(janan kya hai) While there is some evidence to show that X-ray irradiation shortens life expectancy in some species , the difficulty arose when these observations could not be confirmed uniformly in other species of animals
हालांकि इस बात के भी कुछ प्रमाण हैं कि कुछ प्रजातियों में एक़्स किरण विकिरण , जीवन अवधि को कम करता है , परंतु कठिनाई तब आई जब इन गणनाओं की जीवों की अन्य प्रजातियों में समान रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी .
(janan kya hai) In general all theories that fall under ‘ programmed aging ‘ are influenced by the fact that different species of organisms have different life spans and all individuals within a species have a more or less similar life span
साधारण तौर पर प्रोग्रामित वृद्धावस्था के अंतर्गत आने वाले सभी सिद्धांत इस वास्तविकता से प्रभावित हैं कि जीवों की विभिन्न प्रजातियों की जीवन अवधि भिन्न होती है और एक प्रजाति के सभी जीवों की जीवन अवधि लगभग समान होती है .
(janan kya hai) In general all theories that fall under ‘ programmed aging ‘ are influenced by the fact that different species of organisms have different life spans and all individuals within a species have a more or less similar life span
(janan kya hai) साधारण तौर पर प्रोग्रामित वृद्धावस्था के अंतर्गत आने वाले सभी सिद्धांत इस वास्तविकता से प्रभावित हैं कि जीवों की विभिन्न प्रजातियों की जीवन अवधि भिन्न होती है और एक प्रजाति के सभी जीवों की जीवन अवधि लगभग समान होती है
जैसे :-
फसली पादप(Cropped crop) – 4-6 माह | गुलाब (Rose) – 10 वर्ष | केला(banana) – 25 वर्ष |
बरगद(Banyan) – 300-500 वर्ष | मनुष्य (humans) :- 100 वर्ष | तोता (Parrot) :- 150 वर्ष |
मगरमच्छ(crocodile) :- 55 वर्ष | कछुआ (tortoise) :- 150 वर्ष | व्हेल(Whale) :- 40 वर्ष |
हाथी(elephant) :- 75 वर्ष | बिल्ली(cat) :- 40 वर्ष | खरगोश(rabbit) :- 35 वर्ष |
घोडा(Horse) :- 50 वर्ष | कबूतर (pigeon) :- 35 वर्ष | गाय(cattle) :- 26 वर्ष |
कौआ(Crow) : – 15 वर्ष | शेर चीता, साँप, ऊँट तितली(Lion cheetah, snake, camel butterfly):- 10-15 दिन | केंचुआ(Earthworm) :- 6 वर्ष |
कॉकरोच(Cockroach) :- 1/2 वर्ष | घरेलू मक्खी(Domestic fly) :- 76 वर्ष | चिमपैंजी ( Chimpanzee ) – 50 वर्ष |
बन्दर ( Monkey ) – 20 से 25 वर्ष | लंगूर ( Baboon ) – 35 से 45 वर्ष | गैंडा ( Rhino ) – 40 से 50 वर्ष |
दरियाई घोड़ा ( Hippo ) – 40 से 50 वर्ष | ऊँट ( Camel ) – 40 से 50 वर्ष | बोनोबो ( Bonobo ) – 40 वर्ष |
शुतुरमुर्ग ( Ostrich ) – लगभग 40 वर्ष | गोरिल्ला ( Gorllia ) – 35 से 50 वर्ष | भालु ( Bear ) – 32 वर्ष |
जिराफ ( Giraffe ) – 26 वर्ष | गधा ( Donkey ) – 25 से 30 वर्ष | शार्क ( Shark ) – 20 से 30 वर्ष |
पेंग्विन ( Penguin ) – 20 वर्ष | नीलगाय या रोज ( Nilgai ) – 10 वर्ष | बैल ( Ox ) – 20 वर्ष |
भैंस ( Buffalo ) – 15 से 25 वर्ष | मकड़ी ( Spider ) – 15 से 25 वर्ष | बकरी ( Goat ) – 15 से 18 वर्ष |
तेंदुआ ( Leopard ) – 12 से 17 वर्ष | चिंकारा ( Chinkara ) – 12 से 15 वर्ष | ageलक्कड़बग्ग्घा ( Hyena ) – 12 वर्ष |
ज़ेबरा ( Zebra ) – 25 वर्ष | लोमड़ी ( Fox ) – 2 से 5 वर्ष | मोर ( Peacock ) – 10 से 25 वर्ष |
कौआ ( Crow ) – 10 से 22 वर्ष | चिड़िया ( Sparrow ) – 3 वर्ष | कुत्ता ( Dog ) – 10 से 13 वर्ष |
भेड़ ( Sheep ) – 10 से 12 वर्ष | मुर्गी ( Hen ) – 8 से 10 वर्ष | कंगारू ( Kangaroo ) – 8 से 10 वर्ष |
सूअर ( Pig ) – 8 वर्ष | खरगोश ( Rabbit ) – 3 से 8 वर्ष | ऑक्टोपस ( Octopus ) – 3 से 5 वर्ष |
चूहा ( Rat ) – 2 वर्ष | मधुमक्खी ( Honey Bee ) – 122 से 155 दिन | मादा मच्छर ( Female Mosquito ) – 42 से 56 दिन |
फलमक्खी ( Fruitfly ) – 40 से 50 दिन | तितली ( Butterfly ) – 14 से 42 दिन | नर मच्छर ( Male Mosquito ) – 10 दिन |
जनन क्या है (What is Reproduction)
(janan kya hai) जनन(reproduction) प्रत्येक जीव अपने समान ही नया जीव संतति उत्पन्न करता है इस क्रिया को जनन कहते है। जनन के द्वारा पीढियों में निरन्तरता बनी रहती है तथा किसी जीव की मृत्यु होने पर भी उसकी जाति का असितत्व बना सकता है।
हर जीव जन्म लेता है, और मरता है इसलिए जीव को जन्म देने के लिए जनन की आवश्यकता है। इस पोस्ट के माध्यम से आपको जनन की परिभाषा, जीव जनन क्यों करते है, जनन के प्रकार कितने है, आदि बताने का प्रयास किया है।
जनन की परिभाषा (Janan kya hai)
(janan kya hai) प्रत्येक प्राणी अपनी जाति को बढ़ाने के लिए जनन करता है, चाहे वह मनुष्य हो, या पेड़ पौधे हो या फिर पशु पक्षी, सभी के जनन करने की तरीके अलग-अलग हैं मनुष्य बच्चों को जन्म देते हैं, तो पक्षी अंडे और पेड़-पौधे के बीज होते हैं तथा और भी अनेक प्रकार से जीव अपने अपने तरीकों से जनन करते है।
जनन के प्रकार (types of reproduction) :
1. अलैंगिक जनन
2. लैंगिक जनन
अलैंगिक जनन(Asexual reproduction)
(janan kya hai) वह जनन जिसमे दो जीवो की भागीदारी नहीं होती , इसमें एक जीव द्वारा ही संतान उत्पत्ति संभव हैं , अलैंगिक जनन कई प्रकार की विधियों द्वारा होता हैं। इसमें उत्पन्न संतति पैरेंट के समान होगी अर्थात अनुवांशिक रूप से समान होगी।
प्रजनन की वह क्रिया जिसमें दो युग्मको के मिलने से बनी रचना युग्मज (जाइगोट) द्वारा नये जीव की उत्पत्ति होती है, लैंगिक जनन (sexual reproduction) कहलाती है।
यदि युग्मक समान आकृति वाले होते हैं तो उसे समयुग्मक कहते हैं। समयुग्मकों के संयोग को संयुग्मन कहते हैं। युग्मनज या तो सीधे पौधे को जन्म देता है या विरामी युग्मनज बन जाता है जिसे जाइगोस्पोर कहते हैं। इस प्रकार के लैंगिक जनन को ‘समयुग्मी’ कहते हैं।
अलैंगिक प्रजनन के छः प्रकार का होता है ।
1• विखण्डन ( Fission )
2• मुकुलन ( Bedding/ Torulation)
3• बीजाणु ( Sporulation)
4• खण्डन ( Fragmentation)
5• पुनउद्भवन ( Regeneration)
6• कायिक जनन ( Vegetative Reproduction)
लैंगिक जनन(Sexual reproduction)
(janan kya hai) इसमें दो भिन्न जीवों की भागीदारी आवश्यक है। इसमें नर तथा मादा दो भिन्न जीवो के सहयोग या मिलने से संतति का निर्माण होता है अर्थात यह अनुवांशिक रूप से भिन्न होती है इसे लैंगिक जनन कहते है।
प्रजनन की वह क्रिया जिसमें दो युग्मकों के मिलने से बनी रचना युग्मज (जाइगोट) द्वारा नये जीव की उत्पत्ति होती है, लैंगिक जनन (sexual reproduction) कहलाती है।यदि युग्मक समान आकृति वाले होते हैं तो उसे समयुग्मक कहते हैं।
समयुग्मकों के संयोग को संयुग्मन कहते हैं। युग्मनज या तो सीधे पौधे को जन्म देता है या विरामी युग्मनज बन जाता है जिसे जाइगोस्पोर कहते हैं। इस प्रकार के लैंगिक जनन को ‘समयुग्मी’ कहते हैं।
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में अंतर
(Sexual and Asexual Reproduction Difference)
लैंगिक जनन (sexual reproduction) | अलैंगिक जनन (Asexual reproduction) |
इसमें दो जनक भाग लेते है। | केवल एक ही जनक भाग लेता है। |
इस जनन में अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित युग्मक बनते है। | यह जनन केवल असूत्री या समसूत्री विभाजन द्वारा होता है।अगुणित युग्मक नहीं बनते । |
अगुणित युग्मको के मिलन से द्विगुणित युग्मनज बनता है। | युग्मनज नहीं बनता। |
युग्मनज से नए जीव का विकास होता है। | पैतृक कोशिकाओं से नया जीव बनता है। |
केवल बीज वाले पौधों में ही लैंगिक जनन हो सकता है। | बिना बीज वाले पौधों में भी यह सम्भव है। |
जनन में अधिक समय लगता है। | कम समय या तेजी से होता है। |
संतति जीवो में माता व पिता दोनो जीवो के लक्षण पाए जाते है। | माता का प्रभाव रहता है। |
जीवों जनन क्यों करते हैं तथा जनन क्यों आवश्यक है?
(janan kya hai) जीव जनन अपनी जाति को बढ़ाने के लिए करते है ताकि उनकी प्रजाति की पीढ़ी चलती रहे और जीवों की मृत्यु के बाद उस जीव की प्रजाति नष्ट न हो। प्रत्येक जीव अपनी तरह के जीव की ही जनन करते है।
कायिक जनन की परिभाषा (Definition of Vegetative Reproduction)
पौधों के कायिक भागों (जैसे जड़, पत्ती, शाखा) से नए पौधों के बनने की क्रिया को कायिक जनन कहते हैं ।
अगर आपने कभी गांव में या कहीं पेड़ पर देखा होगा कि किसी किसी पेड़ पर कोई दूसरा पेड़ उग आता है तो यही कायिक जनन कहलाता है।
कायिक जनन को हम दो समूहों में बांट सकते हैं-
1. प्राकृतिक कायिक जनन (Natural Vegetative Reproduction)
(janan kya hai) पौधों में स्वयं होने वाले कायिक जनन (कायिक जनन का मतलब की पौधे के किसी भाग से पेड़ बनना या उत्पन्न हो जाना) को प्रकृति का एक जनन या प्रवर्धन कहते हैं। यह निम्नलिखित प्रकार का होता है–
(a) जड़ों द्वारा कायिक प्रवर्धन-
(janan kya hai) सतावर, डहेलिया, शकरकंद, परवल आदि पौधों की जड़ों पर अपस्थानिक कलिका पायी जाती है। यह अनुकूल वातावरण में विकसित होकर नया पौधा बनाती है।
(b) पत्तियों द्वारा (By leaves)
(janan kya hai) अजूबा, बिगोनिया आदि की पत्तियों पर अपस्थानिक कालिका पाई जाती हैं । इनको पर्ण कलिकाएं कहते हैं अनुकूल परिस्थितियों में यह विकसित होकर नया पौधा बनाती हैं।
(c) भूमिगत तनों द्वारा-
(janan kya hai) अदरक का प्रकंद, आलू को कंद ,अरबी का घनकंद, फर्न का प्रकंद, प्याज एवं लहसुन के शल्ककंद से अनुकूल वातावरण में अपस्थानिक कालिकाएं विकसित होकर नया पौधा बनाती हैं।
2. कृतिम कायिक जनन (Artificial Vegetative Reproduction)
मनुष्य के द्वारा अनेक प्रकार से किए जाने वाले कायिक जनन को कृत्रिम कायिक जनन या प्रवर्धन(propagation) कहते हैं।मनुष्य अपने लाभ के लिए प्राकृतिक कायिक प्रवर्धनों के आधार पर कृत्रिम कायिक प्रवर्धन द्वारा अपनी इच्छा अनुसार पौधे विकसित करने का प्रयास करता है ।
कृत्रिम कायिक जनन की प्रमुख विधियां निम्नलिखित हैं-
(a) कलम लगाना (cutting)
गुलाब गन्ना गुड़हल अंगूर आदि के पौधों को इस विधि के द्वारा उगाया जाता है पुराने पौधों की परिपक्व कोशिकाओं को काटकर भूमि में तिरछा गाड दिया जाता है । इन शाखाओं पर कुछ कक्षस्थ कलिकाएं अवश्य होनी चाहिए।
(b) दाब लगाना (layering)
सेब,नाशपाती, चमेली, नींबू आदि में शाखाएं कठोर होती है;अतः सरलता से कलम के रूप में प्रवर्धित नहीं हो पाती हैं। इसलिए पौधे पर लगे-लगे ही शाखा के कुछ भाग को छीलकर शाखा को भूमि में दबा देते हैं बाद में, इसी भाग से अपस्थानिक जड़ें निकल आती है। इसके पश्चात इस भाग को मुख्य पौधे से काटकर अलग कर लेते हैं और अन्य स्थान पर रोप सकते हैं।
(c) गुटी लगाना
यह वायु में दाब लगाने के समान है। किसी शाखा को छीलकर खाद युक्त मिट्टी लेप दी जाती है । इसके ऊपर टॉट इत्यादि लपेटकर सुतली से बांधकर छोड़ दिया जाता है गूटी को हर समय नम बनाए रखना आवश्यक है । शाखा में गूटी के अंदर कुछ दिन बाद अपस्थानिक जडें निकल आती हैं अब, इसे मुख्य पौधे से काटकर अलग करके मृदा में रोप दिया जाता है
(d)कशारोपण(whip grafting)
घटिया पौधे को तिरछा कलम की भांति काट लिया जाता है इसे स्कंध ( stock ) कहतेे हैं अच्छी जाति के पौधे से एक शाखा या कलम(Scion) को इसी प्रकार तिरछी काटकर, मिलान करके इसके साथ जोड़ दिया जाता है तथा डोरी आदि से कसकर बांध दिया जाता है । मोम पिघलाकर इस पर लेप कर दिया जाता है । कुछ दिन बाद स्कंध तथा सियान (कलम) परस्पर जुड़ जाती हैं।
1. जीवधारी जनन क्यों करते हैं?
इस प्रकार अपने ही समान जीवों को उत्पन्न करने की प्रक्रिया, धरती पर रहने वाली विभिन्न प्रजातियों की निरंतरता बनाए रखना, निश्चित करती है। जनन प्रत्येक जीवधारी का एक विशिष्ट लक्षण है और यह शरीर में अन्य जैव-प्रक्रियाओं जैसे पोषण, श्वसन, परिसंचरण तथा अन्य की तरह अपना कार्य करता है।
2. कायिक जनन किसे कहते हैं इसे प्रारूपिक अलैंगिक जनन क्यों माना जाता है?
कायिक जनन को प्रारूपिक अलैंगिक जनन क्यों माना जाता है ? इसमें एक ही जनक भाग लेता है। सन्तति आकारिकी व आनुवंशिक गुणों में जनक के समान होती है। युग्मक निर्माण व संलयन नहीं होता, अतः अर्द्धसूत्री विभाजन एवं संलयन नहीं होता है।
3. जीव कैसे प्रजनन करते हैं?
यह कोशिका विभाजन की प्रक्रिया जिसे अर्द्धसूत्री विभाजन कहते हैं, के द्वारा प्राप्त किया जाता है। अतः दो भिन्न जीवों की यह युग्मक कोशिकाएँ लैंगिक जनन में युग्मन द्वारा युग्मनज (जायगोट) बनाती हैं तो संतति में गुणसूत्रों की संख्या एवं डी. एन.
4. मनुष्य में नर जनन तंत्र में वृषण का क्या कार्य है?
वृषण उदर के बाहर होते हैं ताकि शुक्राणु उदरीय गर्मी से बचकर जीवित रहे सकें। दोनों वृषणों का प्रमुख काम शुक्राणुओं और पुरुष हारमोनों टेस्टोस्टिारान नामक अंतस्त्राव का उत्पादन करना होता है।
5. प्रजनन में डीएनए का क्या महत्व है स्पष्ट कीजिए?
प्रजनन के दौरान, एक मूल कोशिका सीधे बेटी कोशिका को जन्म दे सकती है, या अप्रत्यक्ष रूप से युग्मकों के निर्माण से। … इस प्रकार डीएनए प्रतिकृति आवश्यक है ताकि बेटी कोशिकाओं में गुणसूत्रों के अपने सेट हो सकते हैं, वही जानकारी, जो कि मूल कोशिका में होती है।
6. प्राथमिक लैंगिक अंग ( Primary repro ductive organs )
ये अंग जनद ( Gonads ) कहलाते हैं । नर में जनद वृषण ( Testis ) कहलाते है तथा नर जनन कोशिका – शुक्राणु का निर्माण करने के लिए उत्तरदायी होते हैं । यह उदर गुहा के बाहर वृषण कोष ( Scrotum ) में उपस्थित होता है ।
7. सहायक जनन अंग कौन कौन से हैं?
शुक्राशय व प्रोस्टेट ग्रंथि मूत्रमार्ग तरल स्रवित करता है जो शुक्राणुओं को सक्रिय करता है और पोषण प्रदान करता है। 21.2 (ख) (iii) मानव में नर जनन तंत्र से सम्बद्ध अंग सहायक ग्रंथियाँ सहायक ग्रंथियाँ के अन्तर्गत शुक्राशय, प्रोस्टेट ग्रंथि व काउपर ग्रंथियाँ आती हैं।
8. मानव मादा जनन तंत्र में युग्मनज कहाँ स्थापित होता है?
अगर निषेचन हो जाता है तो युग्मनज को लगभग एक सप्ताह तक विकसित किया जाता है जिसके पश्चात् उसे माता के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है। माता के गर्भाशय में पूर्ण विकास होता है, तथा शिशु का जन्म सामान्य शिशु की तरह ही होता है।
9. महिलाओं के जननांग में कौन से अंग सम्मिलित नहीं है?
मानवों में प्रजनन हेतु जननांग होते हैं, जो स्त्रियों और पुरुषों में भिन्न होते हैं। स्त्री के जननांगो में सबसे पहले बाल होते है जिसे प्यूबिक बाल कहा जाता है। ये बाल स्त्री जननागं को चारों ओर से घेरे रहते है। ऊपर की तरफ एक अंग जो उल्टे वी के आकार की होती है उसे भगनासा और भगशेफ कहते है।
10. जनन कब करना चाहिए?
किशोर/किशोरी – 10-19 वर्ष
योग्य दम्पति – 15-49 वर्ष
गर्भवती महिला
शिशु – 0-5 वर्ष
11. जनन की अच्छी विधि कौन है और क्यों?
जनन की अच्छी विधि लैंगिक जनन विधि है और क्योंकि इस विधि में विपरीत लिंग वाले दो जनक भाग लेते हैं। इनमें नर तथा मादा युग्मक बनते हैं। युग्मकों का संयुग्मन होता है। … युग्मक तथा युग्मनज निर्माण के समय गुणसूत्रों की जीन संरचना में भिन्नता आ जाने के कारण संतति पूर्णरूप से अपने जनक के समान नहीं होती।
12. महिलाएं कितनी उम्र तक मां बन सकती है?
प्यूबर्टी की उम्र यानी मासिक धर्म शुरू होने के बाद और मेनोपॉज यानी मासिक धर्म बंद होने से पहले किसी भी उम्र में महिलाएं मां बन सकती हैं। महिलाओं की प्रजनन की उम्र 12 से 51 साल के बीच होती है। उम्र बढने के साथ साथ महिलाओं की फर्टिलिटी भी कम होती रहती है जिससे उनका कंसीव करना मुश्किल हो सकता है।
13. जनन स्वास्थ्य का क्या महत्व है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन डब्ल्यू एच ओ) के अनुसार जनन स्वास्थ्य का अर्थ – जनन के सभी पहलुओं सहित एक संपूर्ण स्वास्थ्य अर्थात् शारीरिक, भावनात्मक, व्यवहारात्मक तथा सामाजिक स्वास्थ्य है।
14. जल्दी गर्भ ठहरने के लिए क्या करें?
जल्द गर्भधारण या प्रेग्नंत होने के 11 तरीके
गर्भधारण सही उम्र में करे गर्भधारण के लिए डाक्टर सही उम्र 18 से 28 साल के बीच बताते हैं।
पहली प्रेग्नेंसी को अबॉर्ट न करें
पहली प्रेग्नेंसी को अबॉर्ट न करें
माहवारी का चक्र नियमित करें
ऑवुलेशन पीरियड पर नजर रखें
वजन पर कंट्रोल करें
सेहतमंद आहार
कंसेप्शनमून
15. प्रेग्नेंट होने के सबसे ज्यादा चांस कब होते हैं?
इस समय ओव्यूलेशन के आसपास जगह होती है, इस प्रकार, यही सही समय जब गर्भाधान करना सबसे अधिक संभव है। आपके पीरियड की अवधि समाप्त होने के बाद आप गर्भवती हो सकती हैं। वास्तव में, प्रेग्नेंट होने के लिए पीरियड्स के बाद के 5 दिन और ओव्यूलेशन वाला दिन भी शामिल है।
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janan kya hai जनन क्या है | :- आशा करता हूं कि हमारे द्वारा डाली गई यह पोस्ट जो कि जनन क्या है (janan kya hai) को स्पष्ट रुप से बताने के लिए डाली गई है, आपको पढ़ने के बाद अच्छी लगी होगी।
janan kya hai जिससे आप को समझने में आसानी हो और आपको जनन क्या है को समझने में किसी भी प्रकार की परेशानी आ रही है तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से आप उस समस्या को हमसे पूछ सकते है