लेंस किसे कहते है | प्रकार, क्षमता दोष – Lens kise kahte hai

आप सब यहाँ Lens Kise Kahte Hai का Branches और सभी Definition के बारें में पढ़ सकते हैं।आज हम आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से | Lens Kise Kahte Hai का Branches और के सभी भाग के बारे में संपूर्ण जानकारी Hindi में आपको प्रदान करेंगे।

इस पोस्ट में हम Lens Kise Kahte Hai है | को समझाने के लिए Lens Kise Kahte Hai की परिभाषा के माध्यम से और Branches और जो कि Hindi में हैं इनकी सहायता से आपको समझाने का भरपूर प्रयास करेंगे।

लेंस किसे कहते है (Lens Kise Kahte Hai)

लेंस वह युक्ति है जो एक या एक से अधिक पारदर्शी माध्‍यमों से मिल कर बनता है। उसे लेंस कहते है

Lens Kise Kahte Hai दो वर्क पृष्ठ मिलकर लेंस का निमार्ण होता है’’ जिस तरफ से प्रकाष लेंस में आते है उसे लेंस का प्रकाश पृष्ठ कहते हैं, तथा दोनो पृष्ठ से अपवर्तन के पश्चात् प्रकाश जिस पृष्ठ से बाहर निलता हैं ,उस पृष्ठ को द्वितिय पृष्ठ कहते हैं।

Types of Lenses

लेंस दो प्रकार के होते है
1 उत्तल लेन्स (Convex lens) या अभिसारी लेन्स (Converging)
2 अवतल लेंस (Concave Lenses)

उत्‍तल लेंस (Convex Lens) किसे कहते है

Lens Kise Kahte Hai उत्‍तल लेंस बीच में मोटा तथा किनारों पर पतला हेाता है । यह इस पर आपि‍तत होने वाली समांतर किरणों को एक बिंदु पर एकत्रित करता है इसलिये इसे अभिसारी लेंस कहते है। यह लेंस तीन प्रकार का होता है

(i) उभयोत्‍तल लेंस (Biconvex lens) :- इनके दोनो पृष्ठ उभरा हुआ होता है।
(ii) समतलोत्‍तल लेंस (Plano-convex lens) :- इनके एक पृष्ठ उभरे हुए (उत्तल) होते हैं , तथा एक पृष्ठ दबा हुआ होता है।
(iii) अवतलोत्‍तल लेंस (Concavo-convex lens) :- इनके एक पृष्ठ अवतल तथा एक पृष्ठ उत्तल होता है।

अवतल लेंस (Concave Lenses) किसे कहते है

अवतल लेंस वह लेंस होता है जो बीच में पतला तथा किनारेां पर मोटा होता है ।यह आपि‍तत प्रकाश की किरणो को फैला देता है इसलिये इसे अपसारी लेंस कहते है।यह भी तीन प्रकार का होता है

(i) उभयावतल लेंस (Biconvex lens) :- इनके दोनो पृष्ठ अवतल होता है।
(ii) समतल अवतल लेंस (Flat concave लेंस) :- इसके एक पृष्ठ समतल एवं दुसरे पृष्ठ अवतल होते हैं।
(iii) उत्‍तावतल लेंस (Convex concave lens) :- इसका एक पृष्ठ अवतल एवं दुसरा पृष्ठ उत्तल होता होता हैं।

लेंस में अपवर्तन (Refraction in Lens)

जब प्रकाश की कोई किरण एक लेंस से होकर निकलती है। तब प्रकाश की किरण कर दो बार अपवर्तन होता है। पहला अपवर्तन उस समय होता है जब लेंस में किरण प्रवेश करती है। और दूसरा अपवर्तन उस समय होता है जब किरण लेंस से बाहर निकलती है

लेंस की प्रत्येक सतह एक गोले का भाग होती है इस गोले के केंद्र को सतह का वक्रता केंद्र कहते हैं। क्योंकि प्रत्येक लेंस की दो सताह होती है इसलिए प्रत्येक लेंस के दो वक्रता केंद्र होते हैं। और दो वक्रता त्रिज्या भी होती हैं। दोनों त्रिज्या बराबर कोई आवश्यक नहीं है।

लेंस की क्षमता (Lens Capacity)

  • लेंस की क्षमता उसके द्वारा मीटर में नापी गई फोकस दुरी के प्रतिलेाम के बराबर होती है।
  • इसे p से व्‍यक्‍त करते है ।
  • लेंस की क्षमता =p=1/f
  • लेंस की क्षमता का मात्रक डायप्‍टर हेाता है ।

लेंस की फोकस दूरी किसे कहते है।

Lens Kise Kahte Hai लेंस की फोकस दूरी प्रकाशीय केंद्र एवं मुख्य फोकस के बीच की दूरी है इसे प्रायः f से निरूपित किया जाता है। अधिक वक्रता वाले मोते लेंस की फोकस दूरी कम वक्रता वाले पतले लेंस की फोकस दूरी की अपेक्षा कम होती है।

• लेंस की फोकस दूरी(f)=1/P,
•f को मीटर में मापने पर p मात्रक डाईआप्टर(D या m^-2) कहा जाता है। इसका S.I मात्रक डायोप्टर होता है।

लेंस की फोकस दूरी का सूत्र

1/v – 1/u = 1/f

नोट (Note)

उत्‍तल लेंस की फोकस दूरी धनात्‍मक और अवतल लेंस की फोकस दूरी को ऋणात्‍मक लिया जाता है।

लेंसों की पहचान कैसे करते हैं

Lens Kise Kahte Hai उत्तल लेंस, अवतल लेंस एवं काँच की प्लेट की पहचान लेंसों और काँच की प्लेट को बारी-बारी से हाथ से पकड़कर एक पुस्तक के छपे पृष्ठ के निकट लाते हैं और छपे अक्षरों को देखते हैं-

  • यदि छपे अक्षर अपने वास्तविक आकार (साइज) से बड़े दिखाई पड़ते हैं तब यह लेंस उत्तल (Convex) है।
  • यदि छपे अक्षर अपने वास्तविक आकार से छोटे दिखाई पड़ते है तो यह लेंस अवतल (Concave) है।
  • यदि छपे अक्षर अपने वास्तविक आकार के बराबर दिखाई पड़ते हैं तो यह काँच की प्लेट है।

प्रिज्‍म (Prism) किसे कहते है

Lens Kise Kahte Hai प्रिज्‍म उस पारदर्शी माध्‍यम को कहा जाता है जो किसी कोण पर झुके दो समतल प्रष्‍ठो के बीच मे स्थित होता है ।अर्थात प्रिज्‍म किसी कोण पर झुके समतल प्रष्‍ठो के बीच का पारदर्शी माध्यम होता है । अपवर्तन सतहो के बीच का कोण प्रिज्‍म कोण कहलाता है तथा दोनों प्रष्‍ठो को मिलाने वाली रेखा अपवर्तक कोर कहलाती है।

विचलन कोण (Deviation Angle) किसे कहते है

Lens Kise Kahte Hai प्रिज्‍म पर आपतित होने वाली किरणे अपने मार्ग से विचलित हो जाती है। इस प्रकार आपति‍त किरण और निर्गत किरण के बीच बनने वाले कोण को प्रकाश किरण का विचलन कोण कहलाता है।

  • विचलन कोण का मान आपतन कोण ,प्रिज्‍म के पदार्थ , ताप तथा प्रकाश के तरंगदैर्ध्‍य पर निर्भर करता है ।
  • यदि किसी प्रिज्‍म का प्रिज्‍म केाण A तथा अल्‍पतम विचलन केाण डेल्‍टा एम हो तो प्रिज्‍म के पदार्थ का अपवर्तनांक

प्रकाश का विक्षेपण (Deflection of Light) किसे कहते है

जब श्‍वेत प्रकाश किसी अपारदर्शी माध्‍यम से होकर गुजरता है तो वह अपने अवयती रंगो मे विभक्‍त हो जाता है इस घटना को वर्ण विक्षेपण कहा जाता है।

ऐसा प्रकाश के अवयवी रंगो के तरंगदैर्ध्‍य में अन्‍तर के कारण होता है। प्रिज्‍म से निकलने पर श्‍वेत प्रकाश के सात रंग प्राप्‍त होते है। जो कि क्रमश: बैंगनी ,आसमानी ,नीला ,हरा ,पीला, नारंगी,तथा लाल रंग प्राप्‍त होते है।इन रंगो को बैजानीहपीनाला की सहायता से याद कर सकते है।

प्रकाश् के अवयवी रंगो की तरंगदैर्ध्‍य
(Wavelength of The Constituent Colors of Light)

Lens Kise Kahte Hai प्रिज्‍म द्वारा प्राप्‍त वर्णक्रम मे बैगनी रंग की तरंगदैर्ध्‍य सबसे कम तथा लाल रंग की तरंगदैर्ध्‍य सबसे अधिक होती है जिससे वर्णक्रम मे बैगनी रंग सबसे उपर तथा लाल रंग सबसे नीचे आता है

रंगतरंगदैर्ध्‍य एंगस्‍टोग मे(Å)
लाल7800-6400
नारंगी6400-6000
पीला6000-5700
नीला5000-4600
आसमानी4600-4300
बैगनी4300-4000
बस्‍तुओं के रंग

Lens Kise Kahte Hai किसी बस्‍तु का रंग उसके प्रकाश के अवयवी रंगो को अवशोषित करने अथवा संचरित करने की प्रवत्ति को बताता है ।सूर्य के प्रकाश मे दिखने वाले बस्‍तु के रंग को उस बस्‍तु का प्राकतिक रंग कहते है।बस्‍तु का रंग उस पर आपतित प्रकाश की तरंगदैध्‍र्य पर निर्भर करता है।

पारदर्शक बस्‍तुओ के रंग

जिन रंग की किरणे पारदर्शक बस्‍तु से हेाकर अपवर्तित हो जाती है वही रंग बस्‍तु का रंग होता है

अपारदर्शक बस्‍तुओ के रंग

जब किसी रंगीन अपारदर्शक बस्‍तु के ऊपर श्‍वेत प्रकाश आपतित होता है तो वह बस्‍तु प्रकाश के कुछ भाग को अवशेाषित कर लेती है तथा कुछ भाग को बस्‍तु परावर्तित कर देती है बस्‍तु जिन रंग को परावर्तित करती है वही बस्‍तु का रंग होता है।

जैसे हरे रंग की वस्‍तु को हरें रंग के प्रकाश में देखने पर वह हरे रंग की दिखाई देती है क्‍योकि उसने हरे रंग को परावर्तित किया है तथा सभी रंगों को अवशोषित किया है । लाल रंग के प्रकाश मे हरे रंग की बस्‍तू सम्‍पूर्ण प्रकाश को अवशोषित कर लेती है अत: काली प्रतीत होती है।

मूल या प्राथमिक रंग

Lens Kise Kahte Hai मूल रंग वे रंग होते है जो किन्‍ही अन्‍य रंगो की सहायता से प्राप्‍त नही किये जाते ये मूल रंग होते है मूल रंगो को विभिन्‍न अनुपात मे मिलाकर अन्‍य रंग प्राप्‍त किये जाते है। नीला हरा तथा लाल रंग को मूल रंग की संज्ञा दी गई है इन्‍हे नहला से याद कर सकते है । तथा इन तीनो प्राथमिक रंगो केा मिलाने पर श्‍वेत प्रकाश मिलता है

उदाहरण

लाल+हरा =पीला
लाल +नीला =बैगनी
नीला+हरा =मयूरनीला

द्वितियक रंग :- Lens Kise Kahte Hai दो या दो से अधिक प्राथमिक रंगेा को मिलाने से द्वितियक रंग प्राप्‍त होते है।

सम्‍पूरक रंग :- Lens Kise Kahte Hai सम्‍पूरक रंग वे रंग होते है जिनको आपस मे मिलाने से हमे श्‍वेत रंग प्राप्‍त होता है।

द्रष्टि दोष (vision impairment) किसे कहते है

समय के साथ आखो की सामंजन क्षमता कम होती जाती हैजिससे बस्‍तुये स्‍पस्‍ट दिखाई नहीं देती तथा धुंधली दिखाई देती है जिसे द्रष्‍टि का दोष कहते है ।इसका निवारण चश्‍मा लगाकर किया जाता है ।

दृष्टि दोष की परिभाषा :- कभी-कभी आंख की समंजन क्षमता क्षीण हो जाती है, जिस कारण स्पष्ट नहीं दिखाई देता और दृष्टि धुंधली हो जाती है, इसे ही आंख का दृष्टि दोष कहते हैं. सामान्यता यह दो प्रकार के होते हैं

1 निकट द्रष्टि दोष
2 दूर द्रष्टि दोष

निकट द्रष्टि दोष

इसमे व्‍यक्ति पास की चीजो को तो स्‍पस्‍ट रूप से देख पाता है किन्‍तु दूर स्थित बस्‍तुओ को देखने में उसे कठिनाई होती है । इसके निवारण के लिये अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है।

इस प्रकार के दोष में व्यक्ति नजदीक की वस्तु को देख लेता है, परन्तु दूर स्थित वस्तु को नहीं देख पाता है। इस कारण वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर रेटिना के आगे बन जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं।

(1) लेंस की गोलाई बढ़ जाना।
(2) लेंस को फोकस दूरी घट जाना।
(3) लेंस की क्षमता का बढ़ जाना।

निकट दृष्टि दोष का निवारण

निकट दृष्टि दोष का निवारण :- निकट दृष्टि दोष से पीड़ित मनुष्य के लिए दूर बिंदु अनंत से हटकर कुछ पास आ जाता है. अतः निकट दृष्टि दोष का निवारण करने के लिए एक ऐसे अवतल लेंस का प्रयोग करते हैं

जिससे कि अनंत से चलने वाली किरणें अवतल लेंस से अपवर्तन के पश्चात नेत्र के नए दूर बिंदु से आती प्रतीत हों. इस प्रकार अनंत पर रखी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर स्पष्ट बन जाता है और नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है

दूर द्रष्टि दोष

इसमे व्‍यक्ति दूर की बस्‍तुओं को साफ से देख लेता है लेकिन वह पास स्थित बस्‍तुओ को देखने में परेशानी होती है इसके निवारण के लिये उत्‍तल लेंस का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।

इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को दूर की वस्तु दिखाई पढ़ती है, परंतु निकट की वस्तु दिखाई नहीं पड़ती है। इस रोग में निकट की वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है। इसके निम्नलिखित कारण हैं

(1) लेंस को गोलाई कम हो जाना।
(2) लेंस की फोकस दूरी बढ़ जाना।
(3) लेंस की क्षमता घट जाना।

दूर दृष्टि दोष का निवारण

दूर दृष्टि दोष का निवारण :- दूर दृष्टि दोष से पीड़ित मनुष्य के लिए निकट बिंदु 25 सेंटीमीटर से खिसककर कुछ दूर चला जाता है. दूर दृष्टि दोष का निवारण करने के लिए एक ऐसे उत्तल लेंस का प्रयोग करते हैं

जिसके द्वारा स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर रखी वस्तु से चलने वाली किरणें उत्तल लेंस से अपवर्तित होकर नेत्र के नए निकट बिंदु से आती प्रतीत हों. इस स्थिति में अंतिम प्रतिबिंब रेटिना पर बनता है इस प्रकार नए नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है

जरा दृष्टि दोष

कुछ व्यक्तियों में निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष एक साथ हो जाते हैं. इसे ही जरा-दष्टि दोष कहते हैं. इस दोष के निवारण के लिए द्विफोकसी लेंस का प्रयोग किया जाता है. जिसका ऊपरी भाग अवतल लेंस तथा नीचे का भाग उत्तल लेंस की तरह कार्य करता है. ऊपरी भाग दूर की वस्तुओं को देखने के लिए तथा निचला भाग निकट की वस्तुओं को देखने के लिए प्रयोग में आता है

अबिन्‍दुकता

यह दोष गोलीय विपथन के जैसा होता है जिसमे पीडित व्‍यक्ति को क्षैतिज अथवा उर्ध्‍वाधर दिशा में बस्‍तु धुंधली दिखाई देती है इस दोष का कारण कार्निया का पूर्णत: गोल न होना होता है।बेलनाकार लेंस का प्रयोग करके इस दोष को दूर किया जाता है।

वर्णान्‍धता

यह एक अनुवांशिक बीमारी होती है जिसमे व्‍यक्ति को लाल तथा हरे रंग में अन्‍तर करने मे उन्‍हे पहचानने में कठिनाई होती है। इस दोष का कारण शक्‍वाकार सेलो का कम होना होता है।यह देाष 0.5प्रतिशत स्त्रियों मे तथा 4 प्रतिशत पुरूषों मे पाया जाता है।

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Lens Kise Kahte Hai लेंस किसे कहते हैं | :- आशा करता हूं कि हमारे द्वारा डाली गई यह पोस्ट जो कि लेंस किसे कहते हैं (Lens Kise Kahte Hai) को स्पष्ट रुप से बताने के लिए डाली गई है, आपको पढ़ने के बाद अच्छी लगी होगी।

Lens Kise Kahte Hai जिससे आप को समझने में आसानी हो और आपको लेंस किसे कहते हैं को समझने में किसी भी प्रकार की परेशानी आ रही है तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से आप उस समस्या को हमसे पूछ सकते है

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