पौधों में होने वाले रोग, लक्षण एवं उनकी रोकथाम | Plant Diseases in Hindi

हेलो दोस्तों आज हम पढ़ेंगे की पौधों में होने वाले रोग जिसे हम पादप रोग कहते है (Plant Diseases in Hindi) इस रोग में हम अध्ययन करते हैं। पौधों होने वाले रोग | पौधों में रोग होने के कई कारण हो सकते हैं ये रोग कवक,वायरस और बैक्टीरिया के कारण भी हो सकता हैं |

इस लेख में पौधों में रोग होने के क्या कारण है, क्या लक्षण होते है आदि के बारे में अध्ययन करेंगे पौधे हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा हैं पौधों में रोग ज्यादातर कवक से होता है वायरस और बैक्टीरिया के कारण भी अधिकांश पौधे रोग ग्रसित होते है ज्यादातर रोग वायु प्रदूषण, पोषक तत्वों की कमी आदि के कारण भी ये रोग बढ़ सकते हैं. तो आइये दोस्तों हम पढ़ते है की Plant Diseases in Hindi क्या है ?

इस पोस्ट में क्या है ?

पादप रोग (Plant Diseases in Hindi)

पौधों में किसी भी प्रकार का विघ्न जो उसकी सामान्य संरचना, कार्य अथवा आर्थिक उपयोगिता में अवरोध उत्पन्न करता है, पादप रोग (Plant Diseases in Hindi) कहलाता है।

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में विभिन्न पादप रोग, कीट, खर-पतवार आदि से कुल खाद्यान्न का लगभग 18% का प्रतिवर्ष नुकसान होता है।

पादप रोग के कारण (Causes of Plant Disease)

A. विषाणु जनित रोग (Viral Diseases)
B. जीवाणुजनित रोग (Bacterial Diseases)
C. कवक जनित रोग (Fungal Disease)

A. विषाणु जनित रोग (Viral Diseases)

(i) तम्बाकू का मोजेक (Tobacco Mosaic Disease)

तम्बाकू के पौधों में होने वाले इस रोग का कारक टोबेको मोजैक वाइरस (Tobacco Mosaic virus—TMV) है। इस रोग में तम्बाकू के पौधों की पत्तियाँ सिकुड़ी सिकुड़ी रहती है और बहुत छोटी हो जाती है | जिसे पौदो से अलग करके नष्ट कर देना चाहिए |

(ii) आलू का मोजेक रोग (Potato Mosaic Disease)

यह रोग पोटैटो वायरस (Potato virus-x) से होता है। इस रोग में आलू के पौधे की पाटिया चितकबर हो जाता है और पाटिया सिकुड़ जाती है और पौधा बौना हो जाता है | जिसे इकट्ठा कर नष्ट कर देना चाहिए |

(iii) बंकी टॉप ऑफ बनाना (Bunchy Top of Banana)

इस पादप रोग का कारक बनाना वाइरस-r (Banana virus-1) है।इस रोग में केले के पौधे बौने हो जाते हैं |

B. जीवाणुजनित रोग (Bacterial Diseases)

(i) आलू का शैथिल रोग (Wilt of Potato)

इस रोग का कारक स्यूडोसोनास सोलेनेसियेरम (Pseudomonas solanacearum) नामक एक जीवाणु है। इस रोग में पौधे की पाटिया पिली हो जाती है | यह रोग मिटटी से होता है

(ii) धान का अंगमारी रोग (Bacterial Blight of Rice)

इस रोग का कारक जैन्थीमीनास आोराइजी (xanthomonas oryzae) नामक जीवाणु है। इस रोग में पौधों की पत्तियों पिली हो जाती है और मुरझाने लगती है

(iii) साइट्रस कैंकर (Citrus Canker)

इस रोग का कारक जैन्थोमोनाससीट्री (Xanthomonas citri) नामक जीवाणु है। इस रोग से पौधे की पत्तियाँ छोटे गोल जलाद होता है जो कि भूरे रंग के होते हैं|

(iv) गेंहूँ का टूण्डू रोग (Tundu Disease of Wheat)

इस रोग का कारक इन्डोबायोटिकम (Corynbacterium endobioticum) नामक जीवाणु एवं एंजइना ट्रीटिकी (Arguina tritici) नामक नेमैटोड है। यह रोग में पौधे की पत्तियों पिली हो जाती है और गेहू की बलिया नष्ट हो जाती है | इस कारन पौधा बौना हो जाता है |

C. कवक जनित रोग (Fungal Disease)

(i) आलू का वार्ट रोग (Wart Disease of Potato)

इस रोग का कारक सिनकीट्रियम इन्डोबायोटिकम (Synchytrium endobioticum) नमक कवक (Fungus) है। इस रोग में आलू में काली संरचना बन जाती है जो आलू को सरा देता है |

(ii) आलू का उत्तरभावी अंगमारी रोग (Late Blight of Potato)

इस रोग का कारक फाइटोप्थोरा इन्फेस्टेन्स (Phytophthora infestans) नामक कवक है। इस रोग में पौधे के पतियों पर भूरे, काले धब्बे होते है जिससे पतिया झुलस जाती हैं और पौधा सूख जाता है।

(iii) बाजरा का ग्रीन ईयर रोग (Green ear Disease of Bajra)

इस रोग का कारक स्केलरोस्पोरा ग्रेमिकोला (Sclerospora gramicola) नामक कवक है । इस रोग में बाजरे की बालियों में हरे रंग के रेशे निकल जाते हैं, जो बाद में काले रंग के चूर्ण में बदल जाते हैं।

(iv) गन्ने का लाल सड़न रोग (Red Rot of Sugarcane)

इस रोग का कारक कोलेटोटिकम फालकटम (Colletotricurn falcatum) नामक कवक है। इस रोग में गन्ने की तने और पतियों में लाल धारियाँ हो जाती हैं। और तना फटने लगता है |

(v) मूंगफली का टिक्का रोग (Tikka Disease of Groundnut)

इस रोग का कारक सर्कोस्पोरा पर्सेनेटा (Corcospora personata) नामक कवक है। इस रोग के कारण पत्ती के दोनों सतहों पर गोल गोल धब्बे बन जाते हैं।

(vi) गेहूँ का किट्टू रोग (Rust of Wheat)

इस रोग का कारक पक्सिनिया ग्रेमिनिस ट्रिटिकी (Puccinia graminis tritici) नामक कवक है । इस रोग में पौधे की पतिया तथा तना पर लाल-भूरे रंग का धब्बा बन जाता है|

(vii) गेहूं का ढीला कण्ड (Loose Smut of Wheat)

इस रोग का कारक अस्टिलागी नूडा ट्रिटीकी (Ustilogo nuda tritici) नमक कवक है। इस रोग में गेहूँ की बालियों में कला पाउडर जैसा पदार्थ भर जाता है।

D. अजैविक रोग (Abiotic Disease)

इस प्रकार के रोग मुख्यतः पौधों में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की कमी के कारण उत्पन्न होते हैं। कुछ प्रमुख अजैविक रोग निम्नलिखित हैं

(i) धान का खैरा रोग (Khaira Disease of Rice)

धान की फसल में होने वाला यह रोग जस्ता (zine) की कमी के कारण होता है।

(ii) मटर का मार्श रोग (Marsh Disease of Pea)

मटर में होने वाला यह रोग मैंगनीज (Manganese) नामक पोषक तत्व की कमी के कारण होता है।

(iii) नींबू का डाइबैक रोग Diback Disease of Citrus

नींबू के पौधों में होने वाला यह अजैविक रोग तांबा (Copper) की कमी के कारण होता है।

(iv) आम का लिटिल लीफ रोग Little Leaf Disease of Mango

यह अजैविक रोग जस्ता (zinc) की कमी के कारण होता है।

पादप रोग की पहचान और उपचार कैसे करें?

पादप रोग की लक्षणों को पहचान कर उनका उपचार करे और पौधों को नस्ट होने से बचाये |

1. काला धब्बा (Black Spot)

ब्लैक स्पॉट कवक से होने वाला रोग है | यह अधिकतर गुलाब पर पाए जाने वाला रोग है | जो गुलाब के पतियों के ऊपरी किनारों पर बनने वाले काले, गोल धब्बे का कारण बनता है। जिसे ब्लैक स्पॉट कहते है | जिसमे निचली पत्तियां आमतौर पर पहले संक्रमित होती हैं। गंभीर संक्रमण के कारण संक्रमित पत्तियां पीली हो जाती हैं और पौधे से गिर जाती हैं।

उपचार (Treatment)

  • अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में पौधे लगाएं।
  • पौधे में पानी जड़ में दे न की पतियों पर |
  • खाद की नियमित खुराक देकर अपने पौधों को स्वस्थ रखें।
  • रोगग्रस्त पौधों को पानी देने के लिए सॉकर होज़ का उपयोग करें।

2. पाउडर रूपी फफूंद (Powdery Mildew)

पाउडर रूपी फफूंद एक कवक रोग है जो हमारे कई पौधों, फूलों, सब्जियों और फलों को प्रभावित करता है। यह धुप में रहने वाली पौधों पर ज्यादा प्रभावित नहीं होता है | लेकिन छायादार क्षेत्रों में रखे गए पौधों को अधिक प्रभावित करता है।यह पत्ती की सतहों पर सबसे अधिक दिखाई देता है जो सफ़ेद पाउडर के रूप में दिखाए देता है, जिसे पाउडर रूपी फफूंद कहते है |

उपचार (Treatment)

  • ग्रीनहाउस से पौधों को खरीदते समय अच्छी तरह निरीक्षण करें |
  • पत्तियों को पोंछना एक सही उपचारनहीं है क्योकि सफाई के कुछ दिनों के भीतर वापस आ जाएगा।
  • सर्दियों के दौरान सभी संक्रमित मलबे को हटा दिया जाना चाहिए।

रोगग्रस्त पौधों के लक्षण (Symptoms of Diseased Plants)

पादपों में रोग जनकों (Pathogen) द्वारा उत्पन्न लक्षणों (Symptoms) को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है:

(1) ऊतक क्षयी (Necrotic)
(2) क्षीणता (Atrophic)
(3) अतिक्षीणता (Hyper Trophic)

1. ऊतक क्षयी (Necrotic)

ऊतक क्षयी लक्षण (Necrotic Symptoms) में आक्रमण करने वाले रोग जनकों की आक्रमणके बाद मृत्यु (Death) हो जाती है । जिसमे सबसे पहले हरे ऊतक (Green Tissues) की मृत्यु हो जाती हैऔर यह पीला या भूरा होता हैजिसका रंग बाद में Grey हो जाता है और इनकी मृत्यु हो जाती है |

2. क्षीणता (Atrophic)

क्षीणता (Atrophic) लक्षण के अन्तर्गत रोगग्रस्त पौधे के अंग बिलकुल धीरे धीरे विकसित होता है जिसे बौनेपन (Dwarfing) तथा वामनता (Nanism) लक्षण कहते है जो प्रतिकूल वातावरण के कारण उत्पन्न होते हैं। यह लक्षण (Symptoms) हाइपोप्लाजिया (Hypoplasia) कहलाता है ।

3. अति क्षीणता (Hypertrophic Symptoms)

अति क्षीणता लक्षणों (Symptoms) में सभी प्रकार की Over Growth के लक्षण देखने को मिलते हैं । जिसमे रोगी कोशिका की वृद्धि बहुत ज्यादा होने लगती है तो यह लक्षण हाइपरट्राफी (Hypertrophy) कहलाता है ।

इन्हे भी पढ़े

अगर आपने Plant Diseases in Hindi को यहाँ तक पढ़ा है तो मुझे पूरी तरह उम्मीद है की आपको Plant Diseases in Hindi अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा| इस Artical में अगर आपको कोई भी Problem हो तो हमें Comment के माध्यम से पूछ सकते है | अगर आपको यह Artical अच्छा लगा तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करे

Plant Diseases in Hindi FAQ

पौधे का कौन सा रोग रिंग डिजीज के रूप में जाना जाता है?

आलू का विल्ट रोग बैक्टीरिया की वजह से पौधे में होता है. इसे रिंग डिजीज के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसमें भूरे रंग के छल्ले Xylem पर बनते है.

पौधे के रोग का नाम बताएं जिसमें पत्ते पर बड़े रंग के पीले धब्बे दिखाई देते हैं?

पौधों के बैक्टीरियल ब्लाइट रोग में बड़े पीले रंग के धब्बे पत्तियों पर दिखाई देते हैं जो कि बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं.

Bunchy top of banana रोग पौधे में किस कारण से होता है?

Bunchy Top Of Banana रोग पौधे में वायरस (Virus) के कारण होता है. इसमें पौधा बौना हो जाता है और सभी पत्तियां एक जगह संचित हो जाती हैं.

पौधे की एक बीमारी को नामित करें जिसमें गहरे भूरे रंग से हलके भूरे रंग के धब्बे पौधे के ऊतकों के आसपास हो जाते हैं?

पौधे में ग्रे मोल्ड रोग को बोटरीटिस के रूप में भी जाना जाता है. यह पत्तियों और पंखुड़ियों जैसे पौधों के मरने या घायल होने वाले भागों के कारण होता है.

पौधे के किस रोग में सफेद धब्बे आम तौर पर पत्तियों के नीचे दिखाई देते हैं?

पौधे में लंबे समय तक नमी होने के कारण Downy Mildew रोग होता है. इस रोग में सफेद फफूंदी आमतौर पर पत्तियों के नीचे दिखाई देती है.

पौधों में जल का परिवहन कैसे होता है?

Bacterial Blight Of Rice रोग बैक्टीरिया Xanthomonas Oryzae के कारण होता है. इस रोग में बैक्टीरिया की वृद्धि होने के कारण संवहनी बंडल (Vascular Bundles ) अवरुद्ध हो जाते हैं.

पौधे के निम्नलिखित रोगों में से किसमें पत्तियों का क्लोरोफिल नष्ट हो जाता है और पत्तियां सूख जाती हैं?

पौधे की Mosaic Disease Of Tobacco में पत्तियां सूख जाती है और छोटी हो जाती हैं. यहां तक कि पत्तियों का क्लोरोफिल भी नष्ट हो जाता हैं.

पौधे की उस बीमारी का नाम बताएं, जिसमें पत्तियां, शाखाएं, फल सभी प्रभावित होते हैं?

साइट्रस केंकर (Citrus Canker) रोग पौधों में चीन में उत्पन्न हुआ है. पत्तियां, शाखाएं, फल सभी इस बीमारी से प्रभावित होते हैं.

पौधे में एक रोग का नाम बताएं जिसमें पत्तों के नीचे के किनारों पर बद्धी (webbing) आ जाती है या पौधे में बद्धी रोग हो जाता है?

पौधों के Spider Mites रोग में पत्तों के निचले हिस्से पर बद्धी (Webbing) आ जाती है या पौधे में बद्धी रोग हो जाता है.

पौधे के किस रोग में भूरे रंग के लाल घावों के साथ स्टेम रोट या तना खराब हो जाता है?

Rhizoctonia रोग में पौधे में तना खराब हो जाता है.

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