Pollution Essay in Hindi | प्रदूषण पर निबंध

  • आप सब यहाँ प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi) के बारें में पढ़ सकते हैं।आज हम आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से हिन्दी में प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी Hindi में आपको प्रदान करेंगे।

 

  • प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi) में हम आपको पर्दूषण के प्रस्तावना, प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण के सभी प्रकार जो महत्तवपूर्ण है, विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर, प्रदूषण कम करने के उपाय, प्रदूषणों के दुष्परिणाम, सुधार के उपाय, युवा वर्ग के लिए सांस्कृतिक और दैनिक प्रदूषण की समस्या, युवा वर्ग के लिए राजनेतिक प्रदूषण एक समस और उपसंहार सभी के माध्यम से समझने का पूरा प्रयास किया है जो निचे अस्पश्ट रूप से दिया गया है

 

  • यही आशा करता हूं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप सब प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi) को सही तरीके से समझ पाएंगे।

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi)

प्रस्तावना (Introduction):-

  • विज्ञान के इस युग में जहाँ हमे कुछ वरदान मिले है, वही अभिशाप भी मिले है और इसके अलावा ऐतिहासिक कहे या समाजिक बदलाव। इसका हमारे युवा पीढ़ी पर बहुत बुरे असर परतें है। जिस प्रकार ए प्रदूषण विज्ञान की कोख में जन्मा वेसे ही कुछ ऐसे प्रदूषण है जो इंसान की सोच से पनपा है।

 

  • बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समय की एक सबसे बड़ी समस्या है, जो आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण के कारण मनुष्य जिस वातावरण या पर्यावरण में रहा है, वह दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है।

 

  • कहीं अत्यधिक गर्मी सहन करनी पड़ रही है तो कहीं अत्यधिक ठंड। इतना ही नहीं, समस्त जीवधारियों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। प्रकृति और उसका पर्यावरण अपने स्वभाव से शुद्ध, निर्मल और समस्त जीवधारियों के लिए स्वास्थ्य-वर्द्धक होता है, परंतु किसी कारणवश यदि वह प्रदूषित हो जाता है तो पर्यावरण में मौजूद समस्त जीवधारियों के लिए वह विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करता है।

 

  • ज्यों-ज्यों मानव सभ्यता का विकास हो रहा है, त्यों-त्यों पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। इसे बढ़ाने में मनुष्य के क्रियाकलाप और उनकी जीवनशैली काफी हद तक जिम्मेवार है।

 

  • हमें पहले यह जानना जरुरी है कि हमारी किन-किन गतिविधियों के कारण प्रदूषण दिन पर दिन बढ़ रहा है और पर्यावरण में असंतुलन फैला रहा है।

 

  • पहले मेरे गांव में ढ़ेर सारे तालाब हुआ करते थे, किन्तु अब एक भी नहीं है। आज हम लोगों ने अपने मैले कपड़ो को धोकर, जानवरों को नहलाकर, घरों का दूषित और अपशिष्ट जल, कूड़ा-कचरा आदि तालाबों में फेंककर इसे गंदा कर दिया है। अब उसका जल कहीं से भी स्नान करने और न ही पीने योग्य रह गया है। इसका अस्तित्व समाप्ति की कगार पर है

प्रदूषण का अर्थ (Meaning of pollution) :-

प्रदूषण, पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। … प्रदूषण का अर्थ है – ‘हवा, पानी, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना’, जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं। प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना।

प्रदूषण के प्रकार (Types of pollution) :-

वातावरण में मुख्यतः चार प्रकार के प्रदूषण हैं –

Pollution Essay in Hindi प्रदूषण कई प्रकार के है, जैसे वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण , भूमि प्रदुषण और धवनि प्रदूषण ये तो हुए प्रकर्तिक जो प्रकर्ति पर असंतुलन पैदा करने से उत्पन्न होता है। दूसरा हमारा सांस्कृतिक और दैनिक क्रियाओं वाले प्रदुषण।

Pollution Essay in Hindi प्रकृति पर प्रभाव डालने वाले प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण (Air Pollution Essay in Hindi)

प्राकृतिक पर प्रभाव डालने वाले हानिकारक वायु प्रदूषण से हमारे युवा वर्ग को ज्यादा छती पहुंच रही है, वे अक्सर घर से बहार रहते है। और जो वातावरण में विधमान कल-कारखानों की धुँआ,चौबीसो घंटे हवा में मिश्रित होती जाती है, वो ज़हरीली धुआयें साँस से अंडर चली आती है। जिससे हमे साँस लेने में तकलीफ उत्पन्न करते है। मुंबई के न्यूज़ से पता चला है की जब छत पर कपड़े डालते है और जब कपड़े लेकर आते है तो उन कपड़ों में काले – काले कर्ण जम जातें है, और ऐसे ही कर्ण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ो में चले जाते है। इस वायु प्रदूषण को सबसे ज्यादा हमारा युवा वर्ग सहता है क्युकी उसे अक्सर बहार ही रहना पढ़ता है।

  • मनुष्य ने न केवल जल को प्रदूषित किया है, बल्कि अपने विभिन्न क्रियाकलापों एवं तकनीकी वस्तुओं के प्रयोग द्वारा वायु को भी प्रदूषित किया है। वायुमंडल में सभी प्रकार की गैसों की मात्रा निश्चित है। प्रकृति में संतुलन रहने पर इन गैसों की मात्रा में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आता, परंतु किसी कारणवश यदि गैसों की मात्रा में परिवर्तन हो जाता है तो वायु प्रदूषण होता है।

 

  • अन्य प्रदूषणों की तुलना में वायु प्रदूषण का प्रभाव तत्काल दिखाई पड़ता है। वायु में यदि जहरीली गैस घुली हो तो वह तुरंत ही अपना प्रभाव दिखाती है और आस-पास के जीव-जंतुओं एवं मनुष्यों की जान ले लेती है। भोपाल गैस कांड इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। विभिन्न तकनीकों के विकास से यातायात के विभिन्न साधनों का भी विकास हुआ है।

 

  • एक ओर जहां यातायात के नवीन साधन आवागमन को सरल एवं सुगम बनाते हैं, वहीं दूसरी ओर ये पर्यावरण को प्रदूषित करने में अहम् भूमिका निभाते हैं। नगरों में प्रयोग किए जाने वाले यातायात के साधनों में पेट्रोल और डीजल ईंधन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। पेट्रोल और डीजल के जलने से उत्पन्न धुआं वातावरण को प्रदूषित करता है।

 

  • औद्योगिकरण के युग में उद्योगों की भरमार है। विभिन्न छोटे-बड़े उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं के कारण वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड गैस मिल जाते हैं। ये गैस वर्षा के जल के साथ पृथ्वी पर पहुंचते हैं और गंधक का अम्ल बनाते हैं, जो पर्यावरण व उसके जीवधारियों के लिए हानिकारक होता है।

 

  • चमड़ा और साबुन बनाने वाले उद्योगों से निकलने वाली दुर्गंध-युक्त गैस पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं। सीमेंट, चूना, खनिज आदि उद्योगों में अत्यधिक मात्रा में धूल उड़ती है और वायु में मिल जाती है, जिससे वायु प्रदूषित होती है। धूल मिश्रित वायु में सांस लेने से प्रायः वहां काम करने एवं रहने वालों को रक्तचाप हृदय रोग, श्वास रोग, आंखों के रोग और टी.बी. जैसे रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

 

  • जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि होने से मनुष्य के रहने का स्थान दिन-ब-दिन छोटा पड़ता जा रहा है, इसलिए मनुष्य वनों की कटाई का अपने रहने के लिए आवास का निर्माण कर रहा है। शहरों में एलपीजी तथा किरोसीन का प्रयोग खाना बनाने के लिए किया जाता है, जो एक प्रकार की दुर्गंध वायु में फैलाते हैं।

 

  • कुछ लोग जलावन के लिए लकड़ी या कोयले का इस्तेमाल करते हैं, जिससे अत्यधिक धुआं निकलता है और वायु में मिल जाता है। स्थान एवं जलावन के लिए मनुष्य वनों की कटाई करते हैं। वनों की कटाई से वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा घट रही है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है और वायु प्रदूषित हो रही है। मनुष्य द्वारा विभिन्न प्रकार के तकनीकी उपकरणों का सहारा लेकर विस्फोट, गोलाबारी, युद्ध आदि किए जाते हैं।

 

  • विस्फोट होने से अत्यधिक मात्रा में धूलकण वायुमंडल में मिल जाते हैं और वायु को प्रदूषित करते हैं। बंदूक का प्रयोग एवं अत्यधिक गोलीबारी से बारूद की दुर्गंध वायुमंडल में फैलती है। संप्रति मनुष्य अपने आराम के लिए प्लास्टिक की वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं और टूटने या फटने की स्थिति में उन्हें इधर-उधर फेंक देता है। सफाई कर्मचारी प्रायः सभी प्रकार के कचरे के साथ प्लास्टिक को भी जला देते हैं, जिससे वायुमंडल में दुर्गंध फैलती है।

 

  • तकनीक संबंधी नवीन प्रयोग करने के क्रम में कई प्रकार के विस्फोट किए जाते हैं तथा गैसों का परीक्षण किया जाता है। इस दरम्यान कई प्रकार की गैस वायुमंडल में घुलकर उसे प्रदूषित करती है। हानिकारक गैसों के अत्यधिक उत्सर्जन के कारण ‘एसिड रेन’ होती है, जो मानव के साथ-साथ अन्य जीवित प्राणियों तथा कृषि-संबंधी कार्यों के लिए घातक होती है।

 

  • दफ्तर एवं घरेलू उपयोग में लाए जाने वाले फ्रिज और एयरकंडीशनरों के कारण क्लोरो-फ्लोरो कार्बन का निर्माण होता है, जो सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों से हमारी त्वचा की रक्षा करने वाली ओजोन परत को क्षति पहुंचाती है। विभिन्न उत्सवों के अवसर पर अत्यधिक पटाखेबाजी से भी वायु प्रदूषित होती है। वायु प्रदूषण से पर्यावरण अत्यधिक प्रभावित होता है।

 

  • महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है।

जल प्रदूषण (Essay on Water Pollution in Hindi)

जल द्वारा प्रदुषण, कल-कारखानों का जो दूषित जल होता है, वो नदी-नालो में मिलकर भयंकर प्रदूषण पैदा करते है। यदि कभी बाड़ आये तो यही प्रदूषित जल सब जगह फैलकर पानी को दुर्घन्धित करता है, और यही दुर्घन्धित जल सभी नाली – नालो में घुल कर कई तरह की बीमारिया पैदा करता है। जो हमारे युवा वर्ग को नुकशान पहुँचाता है।

  • शहरों में अत्यधिक आबादी होने के कारण फ्लैट निर्माण की प्रवृत्ति बढ़ रही है, ताकि एक फ्लैट में तीन से छह परिवार आसानी से रह सकें। इन फ्लैटों में कम स्थान पर पानी की आवश्यकता अधिक होती है और वहां के भूमिगत जल भंडार पर दवाब बढ़ रहा है। डीप बोरिंग निर्माण करते हुए वहां के भूमिगत जल का दोहन किया जा रहा है।

 

  • उद्योगों के अत्यधिक निर्माण से उनसे निकलने वाले दूषित जल, बचे हुए, रसायन कचरा आदि को नालियों के रास्ते नदी में बहा दिया जाता है। फ्लैट में रहने वाले लोगों के दैनिक क्रियाकलापों से उत्पन्न कचरे को नदी किनारे फेंका जाता है, जिससे नदियों का जल प्रदूषित होता है।

 

  • शहर के समीप रहने वाली बस्तियों में उचित शौचालय की व्यवस्था नहीं होती, या होती भी है तो यह सुचारू रूप से कार्य नहीं कर पाती है, जिससे वहां लोग प्रायः नदी या तालाब किनारे की जमीन या नालियों का प्रयोग शौच के लिए करते हैं। बारिश में यह सारी गंदगी नदियों या तालाबों में जा मिलती है।

 

  • बस्तियों में कचरे की निकासी की उचित व्यवस्था न होने पर प्रायः लोग कचरे को तालाब या नदी के पानी में डाल देते हैं। तालाबों एवं नदियों के पानी का इस्तेमाल नहाने एवं कपड़े धोने के अलावा पशुओं को नहलाने के लिए भी किया जाता है, जिससे उनके शरीर की गंदगी पानी में घुल जाती है। कपड़े धोए जाते हैं, कचरा, मल-मूत्र डाला जाता है, पुराने कपड़े शवों की राख, सड़े-गले पदार्थ डाले जाते हैं, इतना ही नहीं कभी-कभी शवों को नदियों में बहा दिया जाता है।

 

  • नदियों, तालाबों के जल एवं भूमिगत जल को तो मनुष्यों ने प्रदूषित किया ही है। प्रदूषित करने में इसने सागर के जल को भी नहीं छोड़ा। सागर किनारे कई स्थलों पर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है, जिससे सागर किनारे कई छोटी-बड़ी बस्तियां बस गई हैं। वहां के लोगों का जीवनयापन पर्यटकों को विभिन्न प्रकार की सामग्रियां बेचकर होता है।

 

  • उन बस्तियों में किसी प्रकार के शौचालय की व्यवस्था नहीं है, अगर है भी तो वे सुचारू रूप से कार्यरत नहीं है, जिसके कारण बस्ती के लोग सागर के पानी में ही शौच करते हैं तथा घर के कुड़े-कचरे को भी सागर के जल में बहा देते हैं, जिससे सागर का जल प्रदूषित होता है। विभिन्न तकनीकों के विकास के कारण सागर के जल में बड़े-बड़े जहाज चलते हैं, जो यात्रियों के आवागमन एवं सामग्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का काम करते हैं।

 

  • जहाज अपनी साफ-सफाई के पश्चात् गंदगी को प्रायःसमुद्र के पानी में डाल देते हैं। कभी-कभी किसी दुर्घटनावश जहाज डूब जाता है तो उसमें मौजूद रासायनिक पदार्थ, तेल आदि समुद्र के पानी में मिल जाते हैं और लंबे समय तक उसमें रहने वाले जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते रहते हैं।

 

  • जल दूषित हो जाने के कारण कुछ जीव तत्काल मर जाते हैं और जल को और अधिक प्रदूषित कर देते हैं। दूषित जल में रहने वाले जलीय जीवों का सेवन करने से मनुष्य भी बीमार पड़ते हैं। विकसित देश प्रायः अपने देश की गंदगी व ई-कचरा को समुद्र में डाल देते हैं, जिससे जल बुरी तरह से दूषित होता है।

 

  • प्रारंभ में जब तकनीक का विकास नहीं हुआ था, तब लोग प्रकृति व पर्यावरण से सामंजस्य बैठकर जीवनयापन करते थे, परंतु तकनीकी विकास एवं औद्योगीकरण के कारण आधुनिक मनुष्य में आगे बढ़ने की होड़ उत्पन्न हो गई। इस होड़ में मनुष्य को केवल अपना स्वार्थ दिखाई पड़ रहा है।

 

  • वह यह भूल गया है कि इस पृथ्वी पर उसका वजूद प्रकृति एवं पर्यावरण के कारण ही है। यह भी पर्यावरण प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। प्राकृतिक रूप से जल में जीवों के मरने व जीव-जंतुओं के नहाने से ही जल प्रदूषित हो सकता है, परंतु मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए न केवल जल का प्रयोग नहाने व पीने के लिए करता है, बल्कि उसमें घर का कचरा, उद्योगों का कचरा भी डालता है।

 

  • किसान खेतों में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं, ताकि उनकी फसल अच्छी हो, फसल में कीड़े न लगें, इसलिए कीटनाशकों का भी छिड़काव किया जाता है। वर्षा के पानी के साथ ये सभी रासायनिक तत्व तालाब और नदी-नालों में चले जाते हैं और वहां के जल को प्रदूषित करते हैं।

 

  • उद्योग अपनी गंदगी को सीधे तौर पर नदियों-नालों में डालते ही हैं, साथ ही उनके धुएं की निकासी सही तरीके से नहीं की जाती है, जिससे धुएं का तैलीय अंश आस-पास के संचित जल भंडार के ऊपर एक काली परत के रूप में जमा रहता है और जल को प्रदूषित करता है।

 

  • कल-कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल-प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गंधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियां पैदा होती है।

भूमि प्रदूषण (Land Pollution Essay in Hindi)

भूमि समस्त जीवों को रहने का आधार प्रदान करती है। यह भी प्रदूषण से अछूती नही है। जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य के रहने का स्थान कम पड़ता जा रहा है, जिससे वह वनों की कटाई करते हुए अपनी जरूरत को पूरा कर रहा है। वनों की निरंतर कटाई से न केवल वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है और ऑक्सीजन की मात्रा घट रही है, बल्कि जमीन में रहने वाले जीव-जंतुओं का भी संतुलन बिगड़ रहा है।

  • पेड़, भूमि की ऊपरी परत को तेज वायु से उड़ने तथा पानी में बहने से बचाते हैं और भूमि उर्वर बनी रहती है। पेड़ों की निरंतर कटाई से भूमि के बंजर बनने एवं रेगिस्तान बनने की संभावनाएं बढ़ रही हैं। इस प्रकार वनों की कटाई से प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है। प्रकृति के संतुलन में परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण का प्रमुख कारण है। जनसंख्या वृद्धि से अनाज की मांग भी बढ़ गई है।

 

  • कृषक अत्यधिक फसल उत्पादन के लिए रासायनिक खादों का इस्तेमाल करते हैं एवं फसल को कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशकों का भी छिड़काव करते हैं, जिससे भूमि प्रदूषित होती है। भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है तथा कचरे का ढेर यहां-वहां बिखेरा जा रहा है। भूमिगत जल के अलावा भूमि में मौजूद खनिज पदार्थों का अत्यधिक दोहन करने से भूस्खलन की समस्या उत्पन्न होती है।

 

  • कचरे के रूप में प्लास्टिक का क्षय नहीं होता। वह जिस स्थान पर अत्यधिक मात्रा में होता है, वहां के पेड़-पौधों में उचित वृद्धि नहीं हो पाती, जिससे भूमि दूषित होती है। तकनीकी युग में आधुनिक मानव ने कई नए हथियारों का आविष्कार कर लिया है, ताकि सरलतापूर्वक शत्रु का नाश किया जा सके। युद्ध में इन हथियारों का प्रयोग किए जाने से युद्धभूमि में तो अत्यधिक लोग मारे ही जाते हैं, साथ ही आस-पास के इलाकों में भी जीव-जंतु मारे जाते हैं, जिससे भूमि प्रदूषित होती है।

 

  • खेती में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों और कीट-नाशकों के प्रयोग से मृदा प्रदूषण होता है। साथ ही प्रदूषित मिट्टी में उपजे अन्न खाकर मनुष्यों एवं अन्य जीव-जंतुओं के सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसकी सतह पर बहने वाले जल में भी यह प्रदूषण फैल जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution Essay in Hindi)

मनुष्य शांत वातावरण में रहना पसंद करता है, परन्तु आजकल वाहनों, कल-कारखानों का शोर ,यातायात का शोर ,मोटर गाड़ियों का शोर ,लाउडस्पीकर, के ध्वनि से परेशान है, हमारे युवा वर्ग के लिए तनाव की समस्या उत्पन्न कर दी है।

  • मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक चरण में ध्वनि प्रदूषण गंभीर समस्या नहीं थी, परंतु मानव सभ्यता ज्यो-ज्यों विकसित होती गई और आधुनिक उपकरणों से लैस होती गई, त्यों-त्यों ध्वनि प्रदूषण की समस्या विकराल व गंभीर हो गई है। संप्रति यह प्रदूषण मानव जीवन को तनावपूर्ण बनाने में अहम् भूमिका निभाता है। तेज आवाज न केवल हमारी श्रवण शक्ति को प्रभावित करती है, बल्कि यह रक्तचाप, हृदय रोग, सिर दर्द, अनिद्रा एवं मानसिक रोगों का भी कारण है।

 

  • औद्योगिक विकास की प्रक्रिया में देश के कोने-कोने में विविध प्रकार के उद्योगों की स्थापना हुई है। इन उद्योगों में चलने वाले विविध उपकरणों से उत्पन्न आवाज से ध्वनि प्रदूषित होती है। विभिन्न मार्गों चाहे वह जलमार्ग हो, वायु मार्ग हो या फिर भू-मार्ग, सभी तेज ध्वनि उत्पन्न करते हैं। वायुमार्ग में चलने वाले हवाई जहाज, रॉकेट एवं हेलीकॉप्टर की भीषण गर्जन ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने में सहायक होती है।

 

  • जलमार्ग में चलने वाले जहाजों का शोर एवं भू-मार्ग में चलने वाले वाहनों के इंजन की आवाज के साथ उनके हॉर्न ध्वनि-प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। मनोरंजन एवं जन-संचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा तेज आवाज में ध्वनि प्रेषित की जाती है। लाउडस्पीकरों द्वारा सभा एवं जलसों में बोलकर सभा को संबोधित किया जाता है एवं सूचना प्रेषित की जाती है। विभिन्न उत्सवों के अवसर पर जोर-जोर से गाने बजाए जाते हैं।

 

  • जन-संपर्क अभियान चलाने के लिए भी लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जाता है और जनता तक सूचना प्रेषिक की जाती है। विज्ञापन दाता भी कभी-कभी अपने उत्पादों का प्रचार तेज आवाज में करते हैं। डीप बोरिंग करवाने के क्रम में, क्रशर मशीन चलाने, डोजर से खुदाई करवाने के क्रम में अत्यधिक शोर होता है। शादी, विवाह या धार्मिक अनुष्ठान के अवसर पर वाद्य यंत्रों का अत्यधिक शोर ध्वनि को प्रदूषित करता है। इसके अलावा यह अनावश्यक असुविधाजनक और अनुपयोगी ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।

 

  • मनुष्य के सुनने की भी एक क्षमता होती है, उससे ऊपर की सारी ध्वनियां उसे बहरा बनाने के लिए काफी हैं। मशीनों की तीव्र आवाज, ऑटोमोबाइल्स से निकलती तेज़ आवाज, जो हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है। इनसे होने वाला प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। इससे पागलपन, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, बहरापन आदि समस्याएं होती है।

 

  • मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है।

ये तो हुए Pollution Essay in Hindi प्राकर्तिक प्रदूषण जो हमारे वातावरण को प्रदूषित करके सभी उम्र के व्यक्ति और खाशकर युवा वर्ग के लिए बहुत ही हानि करक सिद्ध हो रहा है

Pollution Essay in Hindi प्रदूषण के कुछ और भी प्रकार है जो इस प्रकार है –

प्रकाश प्रदूषण(Light Pollution)

प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

रेडियोएक्टिव प्रदूषण (Radioactive Pollution)

रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।

थर्मल प्रदूषण(Thermal Pollution)

कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

दृश्य प्रदूषण (Visual Pollution)

मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।

विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर
(World’s most polluted cities)

Pollution Essay in Hindi एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

प्रदूषण कम करने के उपाय (Ways to reduce pollution)

Pollution Essay in Hindi जब अब हम प्रदूषण के कारण और प्रभाव तथा प्रकारों को जान चुके हैं, तब अब हमें इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिये गये कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते है।

Pollution Essay in Hindi को कण्ट्रोल करने के उपाय 

  • कार पूलिंग
  • पटाखों को ना कहिये
  • रीसायकल/पुनरुयोग
  • अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर
  • कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके
  • पेड़ लगाकर
  • काम्पोस्ट का उपयोग किजिए
  • प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके
  • रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर
  • कड़े औद्योगिक नियम-कानून बनाकर
  • योजनापूर्ण निर्माण करके

प्रदूषणों के दुष्परिणाम (Side effects of pollution)

Pollution Essay in Hindi उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है।

सुधार के उपाय (Improvement measures)

Pollution Essay in Hindi विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।

युवा वर्ग के लिए सांस्कृतिक और दैनिक प्रदूषण की समस्या
(Cultural and daily pollution problems for the youth)

Pollution Essay in Hindi सांस्कृतिक कुप्रभावों का आज की पीढ़ी अंधाधुन इसका अनुसरण कर रही है और इससे गर्व का विषय समझती है। चलचित्र प्रदूषण, सोसल मिडिया नेटवर्किंग , ये भी युवा वर्ग किए एक समस्या है। जो उन्हें हमारी संस्कृति की धरोहर से दूर करती जा रही है, इे बेबज़ह के मनोरंजन और फ़ालतू के सोसल मिडिया, और नेटवर्किंग का अत्यधिक प्रयोग से आज की युवा पीढ़ी गलत रास्ते पर भटक रही है। और अपने पारिवारिक कर्त्तव्य और अपने परिवार से दूर होती जा रही, जो की बहुत ही हानिकारक साबित हो रहा है। इन सब से युवा वर्ग को ज्ञान तो कम ही मिलता है और उल्टा युवा पीढ़ी राह भटक रही है। हमारे यहॉ के नेता और सरकार को हमारे आने वाली पीढ़ी के बारे में सोचते हुए, ऐसे मनोरंजन पर अंकुश लगाते हुए आने वाली पीढ़ी के भविष्य को बचाने के लिए कुछ तो करना होंगा ताकि हमारी युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को नहीं भूले।

जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य दिन-प्रतिदिन वनों की कटाई करते हुए खेती और घर के लिए जमीन पर कब्जा कर रहा है। खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए रासायनिक खादों का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे न केवल भूमि बल्कि, जल भी प्रदूषित हो रहा है। यातायात के विभिन्न नवीन साधनों के प्रयोग के कारण ध्वनि एवं वायु प्रदूषित हो रहे हैं।

गौर किया जाए तो प्रदूषण वृद्धि का मुख्य कारण मानव की अवांछित गतिविधियां हैं, जो प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करते हुए इस पृथ्वी को कूड़े-कचरे का ढेर बना रही है। कूड़ा-कचरा इधर-उधर फेंकने से जल, वायु और भूमि प्रदूषित हो रहे, जो संपूर्ण प्राणी-जगत के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

युवा वर्ग के लिए राजनेतिक प्रदूषण एक समस
(Political pollution is a problem for the youth)

Pollution Essay in Hindi हमारे यहां के नेता ,और राजनेता आये दिन प्रदर्शन और रेलिया निकला करते है। जो की राजनैतिक प्रदूषण है। प्रदर्शन व् रेलिया की आड़ में आज की युवा पीढ़ी इन आंदोलनों का एक आकर्षक अंग बन गया है। हमारे देश के कुछ स्वार्थी नेता या राजनेता , अपने काम को निकालने के लिए रोजगार का लालच या कुछ पैसे देकर इन युवा पीढ़ी को अपने स्वार्थ के लिए युवा पीढ़ी का यूज़ करती है। इन सब बेह्काबो में आकर हमारी युवा पीढ़ी इन प्रदर्शन और रैलियों का हिस्सा बन जाता है। और ए राजनेतिक प्रदूषण हमारी युवा पीढ़ी के लिए बहुत बड़ी समस्या है।

उपसंहार (Epilogue)

Pollution Essay in Hindi विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए। प्रदूषण से बचने के लिए प्रदूषित ईधनों को बंद करे! सब से पहले फॉर व्हीलर का उपयोग बंद करे !

इस प्रकार देखा जाए तो हर तरह का प्रदूषण युवा वर्ग के लिए एक समस्या है। चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक पर्दूषण, प्रदूषण होता है। हर तरह के प्रदूषण में जल ,वायु ,ध्वनि ,इत्यादि आते है ,इन सब से बचने का एक ही उपाए है ,जगह – जगह हम पेड़ पौधे लगाए और कड़े कानून बनाये जिसके डर से इन प्रदूषण पर अंकुश लग सके इस्से हमारा शारीरिक स्वस्थ अच्छा रहेगा और मानसिक स्वास्थ के लिए हमे हमारे विचारो में परिवर्तन लाना होग़ा सही विचार और सही सोच इन्शान को हमेशा स्वस्थ रखती है। इसलिए शारीरक और मानसिक दोनों रूप से युवा वर्ग को स्वस्थ रहकर इस समस्या से छुटकारा पाना होंगा।

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how to control pollution essay in hindi

Pollution Essay in Hindi को कण्ट्रोल करने के उपाय 
कार पूलिंग
पटाखों को ना कहिये
रीसायकल/पुनरुयोग
अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर
कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके
पेड़ लगाकर
काम्पोस्ट का उपयोग किजिए
प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके
रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर
कड़े औद्योगिक नियम-कानून बनाकर
योजनापूर्ण निर्माण करके

what is pollution

Pollution occurs when an amount of any substance or any form of energy is put into the environment at a rate faster than it can be dispersed or safely stored. The term pollution can refer to both artificial and natural materials that are created, consumed, and discarded in an unsustainable manner.

what is air pollution

Air pollution is a mixture of solid particles and gases in the air. Car emissions, chemicals from factories, dust, pollen and mold spores may be suspended as particles. Ozone, a gas, is a major part of air pollution in cities. When ozone forms air pollution, it’s also called smog.

what is water pollution

Water pollution occurs when harmful substances—often chemicals or microorganisms contaminate a stream, river, lake, ocean, aquifer, or other body of water, degrading water quality and rendering it toxic to humans or the environment

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