संविधान सभा क्या है | लिखित संविधान का क्या अर्थ है ?

संविधान द्वारा सम्पूर्ण देश की शासन व्यवस्था को नियंत्रित किया जाता है, संविधान दो प्रकार के होते है, एक लिखित और दूसरा अलिखित, विश्व का प्रथम लिखित संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका का है, तथा संसार का सबसे बड़ा लिखित संविधान भारत का है | भारतीय संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष श्री सच्चिदानंद सिन्हा को निर्वाचित किया गया था, उसके बाद डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष बनाया गया था, सविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर जी थे | संविधान किसे कहते है ? लिखित संविधान का क्या अर्थ है ? इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे है |

इस पोस्ट में क्या है ?

संविधान सभा क्या है ? (What is Constitution)

किसी देश या संस्था द्वारा निर्धारित किये गए वह नियम जिसके माध्यम से उस देश या संस्था का सुचारु ढंग से संचालन हो सके, उसे उस देश या संस्था का संविधान कहा जाता है | किसी भी देश का संविधान उस देश की राजनीतिक व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, नागरिकों के हितों की रक्षा करनें का एक मूल ढांचा होता है, जिसके माध्यम से उस राष्ट्र के विकास की दिशा का निर्धारण होता है |

भारत का संविधान सभा (Constitution of India)

भारत का संविधान, संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को आंशिक रूप से लागू किया गया और 26 जनवरी 1950 पूर्ण रूप से सम्पूर्ण देश में लागू कर दिया गया, प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, भारतीय संविधान में 22 भाग, 444 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं, परन्तु संविधान निर्माण के समय इसमें 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी |

लिखित संविधान अर्थ (Meaning of Constitution)

लिखित संविधान किसी देश को अच्छी तरह से संचालित करनें के लिए बनाया गया लिखित दस्तावेज होता है, जिसमें उस देश की शासन व्यवस्था का पूर्ण रूप से संचालित करने के प्रावधान दिए रहते है, यह राष्ट्र के शासन का आधार है, इसके माध्यम से उस राष्ट्र का चरित्र, संगठन का निर्धारण होता है,

देश की राजनीतिक पृष्ठभूमि का निर्माण संविधान के आधार पर होता है,

संविधान राष्ट्र को समर्पित उस महान ग्रन्थ को कहा जाता है, जिसमें सभी नियम लिखित रूप से होते है और उन्ही नियमों के आधार पर सम्पूर्ण देश में शासन किया जाता है, उन नियमों की अवहेलना कोई भी व्यक्ति या संगठन नहीं कर सकता |

भारतीय संविधान सभा का संरचना

कैबिनेट मिशन द्वारा प्रदत्त ढांचे के आधार पर 9 दिसंबर, 1946 को एक संविधान सभा का गठन किया गया। संविधान निर्माण संस्था का चुनाव 389 सदस्यों वाली प्रांतीय विधान सभा द्वारा किया गया था जिसमें रियासतों से 93 और ब्रिटिश भारत से 296 सदस्य शामिल थे।

रियासतों और ब्रिटिश भारत प्रांतों को उनकी संबंधित आबादी और मुस्लिम, सिख तथा अन्य समुदायों के आधार पर अनुपात में विभाजित किया गया था। सीमित मताधिकार के बावजूद भी संविधान सभा में भारतीय समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिला था।

संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को नई दिल्ली में हुई थी। डॉ सच्चिदानंद को सभा के अंतरिम अस्थायी अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था। हालांकि, 11 दिसंबर, 1946 को डॉ राजेन्द्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष और एच. सी. मुखर्जी को संविधान सभा का उपाध्यक्ष निर्वाचित किया गया।

संविधान सभा के कार्य

  • संविधान तैयार करना।
  • अधिनियमित कानूनों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया गया।
  • 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया गया।
  • इसने मई 1949 में ब्रिटिश राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता को स्वीकार कर मंजूरी दे दी थी।
  • 24 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ राजेन्द्र प्रसाद को चुना गया था ।
  • 24 जनवरी 1950 को इसने राष्ट्रीय गान को अपनाया।
  • 24 जनवरी 1950 को इसने राष्ट्रीय गीत को अपनाया।

उद्देश्य प्रस्ताव (ऑब्जेक्टिव रेजॉल्यूशन)

उद्देश्य प्रस्ताव को पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा 13 दिसंबर, 1946 को स्थानांतरित कर दिया गया था जिसने संविधान तैयार करने के लिए दर्शन मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान किये थे और इसने भारतीय संविधान की प्रस्तावना का रूप ले लिया था। हालांकि, इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से 22 जनवरी को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था।

प्रस्ताव में कहा गया कि संविधान सभा सबसे पहले भारत को एक स्वतंत्र संप्रभु गणराज्य के रूप में घोषित करेगी जिसमें सभी प्रदेशों, स्वायत्त इकाइयों को बनाए रखना और अवशिष्ट शक्तियों के अधिकारी; भारत के सभी लोगों को न्याय, स्थिति की समानता, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था, पूजा, पेशे, संघ की स्वतंत्रता की गारंटी देना और कानून एवं सार्वजनिक नैतिकता के तहत अल्पसंख्यकों, पिछड़े, दलित वर्गों को पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रदान करना; गणराज्य के क्षेत्र की अखंडता और भूमि, समुद्र और हवा पर अपना संप्रभु अधिकार तथा इस प्रकार भारत का विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए और मानव जाति के कल्याण के लिए योगदान देना शामिल है।

संविधान सभा की समितियां

संविधान सभा ने संविधान बनाने के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन के लिए आठ प्रमुख समितियों का गठन किया था- केंद्रीय शक्तियों वाली समिति, केंद्रीय संविधान समिति, प्रांतीय संविधान समिति, मसौदा समिति, मौलिक अधिकारों और अल्पसंख्यकों के लिए सलाहकार समिति, प्रक्रिया समिति के नियम, राज्यों की समिति (राज्यों के साथ बातचीत के लिए समिति), जवाहर लाल नेहरू, संचालन समिति।

इन आठ प्रमुख समितियों के अलावा, सबसे महत्वपूर्ण मसौदा समिति थी। 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए डॉ बी.आर. अम्बेडकर की अध्यक्षता में एक मसौदा समिति का गठन किया था।

संविधान सभा की आलोचना

जिन बिंदुओं के आधार पर संविधान सभा की आलोचना की गयी थी वो इस प्रकार हैं:

1. एक लोकप्रिय ढांचा नहीं

आलोचकों का मानना है कि संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव सीधे भारत की जनता द्वारा नहीं किया गया था। प्रस्तावना कहती है कि संविधान, भारत के लोगों द्वारा अपनाया गया है जबकि इसे कुछ व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया था जो भारतीय लोगों द्वारा निर्वाचित तक नहीं थे।

2. एक संप्रभु विहीन ढांचा

आलोचक इस बात को लेकर बहस करते हैं कि संविधान सभा का ढांचा संप्रभु नहीं है क्योंकि इसका निर्माण भारत के लोगों के द्वारा नहीं किया गया था। यह भारत की आजादी से पहले कार्यकारी कार्रवाई के माध्यम से ब्रिटिश शासकों के प्रस्तावों द्वारा बनाया गया था तथा इसकी संरचना का निर्धारण भी उन्हीं के द्वारा किया गया था।

3. वक्त की बर्बादी

आलोचकों का हमेशा से यह मानना रहा है कि संविधान तैयार करने के लिए लिया गया समय दूसरे देशों की तुलना में बहुत ज्यादा था। अमेरिका के संविधान निर्माताओं ने संविधान तैयार करने के लिए केवल चार महीने का समय लिया जो कि आधुनिक दुनिया में अग्रणी था।

4. कांग्रेस का बोलबाला

आलोचक हमेशा इस बात को लेकर आलोचना करते हैं कि संविधान सभा में कांग्रेस का काफी दबदबा था और अपने द्वारा तैयार संविधान के मसौदे के माध्यम से उसने देश के लोगों पर अपनी सोच थोप दी थी।

5. एक समुदाय का बोलबाला

कुछ आलोचकों के अनुसार, संविधान सभा में धार्मिक विविधता का अभाव था और केवल हिंदुओं का वर्चस्व था।

6. वकीलों का बोलबाला

आलोचकों का यह भी मानना है कि संविधान संभा में वकीलों के प्रभुत्व की वजह से यह काफी भारी और बोझिल बन गया था उन्होंने एक आम आदमी को समझने के लिए संविधान की भाषा को मुश्किल बना दिया था। संविधान का मसौदा तैयार करने के दौरान समाज के अन्य वर्ग अपनी चिंताओं को जाहिर नहीं कर पाये और निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग नहीं ले सके थे।

इसलिए, संविधान सभा भारत की अस्थायी संसद बन गयी और महत्वपूर्ण रूप से भारत के ऐतिहासिक संविधान का मसौदा तैयार करने में अपना योगदान दिया और बाद में इसने भारतीय राजनीतिक व्यवस्था का निर्माण करने में मदद की।

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संविधान सभा का क्या अर्थ है?

संविधान सभा विद्वानों की उस समिति को कहते हैं जो किसी देश के संविधान को बनाती है। यह ब्रिटिश मंत्रिमंडल की समिति थी। इसका उद्देश्य भारत में राजनीतिक स्थिति का मूल्यांकण करके उसके संविधान निर्माण के लिए परियोजना बनाना था।

संविधान किसे कहते हैं हमें संविधान की क्या आवश्यकता है?

किसी देश की शासन व्यवस्था कैसी होगी,सरकार का चयन कैसे किया जायेगा ,शक्तियों का वितरण कैसे होगा,न्यायिक प्रक्रिया कैसे होगी,नागरिकों को कौनसे अधिकार दिये जायेंगे,नागरिकों और सरकार के देश के प्रति क्या कर्तव्य होंगे,इन सभी चीजों को निर्धारित और लागू करने के लिए जिन नियमों और कानूनों की आवश्यकता पड़ती है

भारतीय संविधान सभा में कुल कितनी महिलाएं थी?

संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे। संविधान निर्माण में पंद्रह महिला सदस्यों का योगदान था। तो आइये जानते है उन पन्द्रह भारतीय महिलाओं के बारे में जिन्होंने भारत के संविधान निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दिया है। इन्हे वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है।

संविधान सभा में महिला सदस्यों की संख्या कितनी थी?

संविधान सभा में महिला सदस्यों की संख्या 12 थी. 11 दिसंबर, 1946 ई. को डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष निर्वाचित हुए

संविधान लिखने वाले कितने लोग थे?

भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे जिसके अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 में अपना काम पूरा कर लिया और 26 जनवरी 1950 को यह संविधान लागू हुआ। इसी दिन कि याद में हम हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।

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