Hello Friends आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग Examenglishhindi.Com में आज के इस Article में हम पढ़ेंगे की जैव विविधता किसे कहते है? | What is Biodiversity, जैव विविधता क्या है? (What is Biodiversity), जैव-विविधता के प्रकार (Types of Biodiversity), जैव विविधता का मनुष्यों के लिए क्या फायदा है?, जैव-विविधता का क्षरण (Degradation of Bio-Diversity), जैव-विविधता क्षरण के कारण (Due to Biodiversity Loss), जैव-विविधता का संरक्षण (Conservation of Biodiversity) तो चलिए शुरू करते है –What is Biodiversity
जैव विविधता क्या है? (What is Biodiversity)
- पौधों, जीव जंतुओं में पाई जाने वाली अलग-अलग प्रकार की विशेषताएं जैव विविधता कहलाती है।
- जैव-विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम वाल्टर जी. रासन ने 1985 में किया था।
- जीवों के बीच पायी जाने वाली विभिन्नता है जोकि प्रजातियों में, प्रजातियों के बीच और उनकी पारितंत्रों की विविधता को भी समाहित करती है।
- जैव विविधता हमारे ग्रह पर सभी जीवित चीजों से बनी है।
- यह सभी तरह के जीवन को समाहित करती है जिसे अरबों सालों के विकास ने आकार दिया गया है।
- इसमें सबसे छोटे बैक्टीरिया से लेकर सबसे बड़े पौधों और जानवरों तक, यहां तक कि हमारी अपनी प्रजातियों भी शामिल हैं।
- दुनिया में कुल कितनी प्रजातियाँ हैं यह ज्ञात से परे है, लेकिन एक अनुमान के अनुसार इनकी संख्या 30 लाख से 10 करोड़ के बीच है।
- विश्व में 14,35,662 प्रजातियों की पहचान की गयी है।
- पहचानी गई मुख्य प्रजातियों में 7,51,000 प्रजातियाँ कीटों की, 2,48,000 पौधों की, 2,81,000 जन्तुओं की, 68,000 कवकों की, 26,000 शैवालों की, 4,800 जीवाणुओं की तथा 1,000 विषाणुओं की हैं।
- पारितंत्रों के क्षय के कारण लगभग 27,000 प्रजातियाँ प्रतिवर्ष विलुप्त हो रही हैं।
जैव-विविधता के प्रकार (Types of Biodiversity)
जैव-विविधता तीन प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित है।
(i) आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity)
(ii) प्रजातीय विविधता (Species Diversity)
(iii) पारितंत्र विविधता। (Ecosystem Diversity)
(i) आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity)
- प्रजातियों में पायी जाने वाली आनुवंशिक विभिन्नता को आनुवंशिक विविधता के नाम से जाना जाता है।
- यह गुणसूत्रों पर आधारित है जो जीवों के आनुवंशिक संरचना के बीच भिन्नता को दिखाता है।
- यही वजह है कि हर जीव एक-दूसरे से अलग दिखता है।
- यह आनुवंशिक विविधता जीवों के विभिन्न आवासों में विभिन्न प्रकार के अनुकूलन का परिणाम होती है।
- इसी तरह, चावल, गेहूं, मक्का, जौ, आदि की एक ही प्रजाति में अलग-अलग किस्में होती हैं।
- किसी विशेष प्रजाति के जीव अपने आनुवंशिक संरचना में एक दूसरे से अलग होते है।
(ii) प्रजातीय विविधता (Species Diversity)
- प्रजातियों में पायी जाने वाली विभिन्नता को प्रजातीय विविधता के नाम से जाना जाता है।
- यह एक विशेष क्षेत्र में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की प्रजातियों में विविधता को दिखाता है।
- इसमें पौधों से लेकर विभिन्न सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया तक सभी प्रजातियां शामिल हैं।
(iii) पारितंत्र विविधता। (Ecosystem Diversity)
- पारितंत्र विविधता पृथ्वी पर पायी जाने वाली पारितंत्रों में उस विभिन्नता को कहते हैं
- किसी भी विशेष समुदाय अथवा पारितंत्र के उचित कार्य के लिये प्रजातीय विविधता का होना अनिवार्य होता है।
- जिसमें प्रजातियों का निवास होता है।
- जीवित से लेकर जो जीवित नहीं है यह उनका एक संग्रह है।
- पारितंत्र विविधता विविध जैव-भौगोलिक क्षेत्रों जैसे- झील, मरुस्थल, ज्वारनद्मुख आदि में प्रतिबिम्बित होती है।
जैव विविधता का मनुष्यों के लिए क्या फायदा है?
- जैव-विविधता का मानव जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। जैव-विविधता के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन असंभव है।
- जैव-विविधता भोजन, कपड़ा, लकड़ी, ईंधन तथा चारा की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।
- विभिन्न प्रकार की फसलें जैसे गेहूँ , धान, जौ, मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, अरहर, चना, मसूर आदि से हमारी भोजन की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है
- जबकि कपास जैसी फसल हमारे कपड़े की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।
- सागवान, साल, शीशम आदि जैसे वृक्षों की प्रजातियाँ निर्माण कार्यों हेतु लकड़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं।
- बबूल, शिरीष, सफेद शिरीष, जामुन, खेजरी, हल्दू, करंज आदि वृक्षों की प्रजातियों से हमारी ईंधन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है
- जबकि शिरीष,घमार, सहजन, शहतूत, बेर, बबूल, करंज, नीमआदि वृक्षों की प्रजातियों से पशुओं के लिये चारा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
जैव-विविधता कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ रोगरोधी तथा कीटरोधी फसलों की किस्मों के विकास में सहायक होती हैं।
वानस्पतिक जैव-विविधता औषधीय आवश्यकताओं की पूर्ति भी करती है। एक अनुमान के अनुसार आज लगभग 30 प्रतिशत उपलब्ध औषधियों को उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों से प्राप्त किया जाता है।
जंगली रतालू से प्राप्त डायसजेनीन नामक रसायन का उपयोग स्त्री गर्भनिरोधक के रूप में होता है।
जैव-विविधता पारितंत्र को स्थिरता प्रदान कर पारिस्थितिक संतुलन को बरकरार रखती है। पौधे तथा जन्तु एक दूसरे से खाद्य शृंखला तथा खाद्य जाल द्वारा जुड़े होते हैं।
पौधे शाकभक्षी जानवरों के भोजन के स्रोत होते हैं जबकि जानवरों का मांस मनुष्य के लिये प्रोटीन का महत्त्वपूर्ण स्रोत होता है।
समुद्र के किनारे खड़ी जैव-विविधता संपन्न ज्वारीय वन (मैंग्रोव वन) प्राकृतिक आपदाओं जैसे समुद्री तूफान तथा सुनामी के खिलाफ ढाल का काम करते हैं।
What is Biodiversity जैव-विविधता विभिन्न सामाजिक लाभ भी हैं। प्रकृति, अध्ययन के लिये सबसे उत्तम प्रयोगशाला है। शोध, शिक्षा तथा प्रसार कार्यों का विकास, प्रकृति एवं उसकी जैव-विविधता की मदद से ही संभव है।
What is Biodiversity जैव-विविधत मृदा निर्माण के साथ-साथ उसके संरक्षण में भी सहायक होती है। जैव-विविधता मृदा संरचना को सुधारती है, जल-धारण क्षमता एवं पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाती है।
जैव-विविधता पोषक चक्र को गतिमान रखने में सहायक होती है। वह पोषक तत्वों की मुख्य अवशोषक तथा स्रोत होती है।
मृदा की सूक्ष्मजीवी विविधता पौधों के मृत भाग तथा मृत जन्तुओं को विघटित कर पोषक तत्वों को मृदा में मुक्त कर देती है जिससे यह पोषक तत्व पुनः पौधों को प्राप्त होते हैं।
जैविक रूप से संपन्न वन पारितंत्र, वन्य-जीवों तथा आदिवासियों का घर होता है। आदिवासियों की संपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति वनों द्वारा होती है।
What is Biodiversity पर्यावरण प्रदूषण के निस्तारण में सहायक होती है। प्रदूषकों का विघटन तथा उनका अवशोषण कुछ पौधों की विशेषता होती है। सदाबहार नामक पौधे में ट्राइनाइट्रोटालुइन जैसे घातक विस्फोटक को विघटित करने की क्षमता होती है।
जैव-विविधता में संपन्न वन पारितंत्र कार्बन डाइऑक्साइड के प्रमुख अवशोषक होते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड हरित गृह गैस है जो वैश्विक तपन के लिये उत्तरदायी है।
जैव-विविधता का क्षरण (Degradation of Bio-Diversity)
पृथ्वी पर जैविक संसाधनों के क्षय को जैव विविधता क्षरण के नाम से जाना जाता है।
पृथ्वी का जैविक धन जैव-विविधता लगभग 400 करोड़ वर्षों के विकास का परिणाम है।
दुनिया में कुल कितनी प्रजातियाँ हैं यह ज्ञात से परे है लेकिन एक अनुमान के अनुसार इनकी संख्या 30 लाख से 10 करोड़ के बीच है।
What is Biodiversity पृथ्वी के पूर्व के 50 करोड़ वर्ष के इतिहास में छः बड़ी विलुप्ति लहरों ने पहले ही दुनिया की बहुत सी प्रजातियों को समाप्त कर दिया जिनमें छिपकली परिवार के विशालकाय डायनासोर भी शामिल हैं।
दुनिया के विकासशील देशों में जैव-विविधता क्षरण चिन्ता का विषय है।
इस जैविक धन के निरंतर क्षय ने मनुष्य के अस्तित्व के लिये गम्भीर खतरा पैदा कर दिया है।
What is Biodiversity विडम्बना यह है कि अशिक्षा, गरीबी, वैज्ञानिक विकास का अभाव, जनसंख्या विस्फोट आदि ऐसे कारण हैं जो इन देशों में जैव-विविधता क्षरण के लिये जिम्मेदार हैं।
एशिया, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका तथा अफ्रीका के देश जैव-विविधता संपन्न हैं जहाँ तमाम प्रकार के पौधों तथा जन्तुओं की प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
जैव-विविधता क्षरण के कारण (Due to Biodiversity Loss)
जैव-विविधता क्षरण के विभिन्न कारण हैं
आवास विनाश– मानव जनसंख्या वृद्धि एवं मानव गतिविधियाँ आवास विनाश का प्रमुख कारण हैं।
आवास विखण्डन – आवास विखण्डन वह प्रक्रिया है जिसमें एक विशाल क्षेत्र का आवास क्षेत्रफल कम हो जाता है और प्रायः दो या अधिक टुकड़ों में बंट जाता है।
पर्यावरण प्रदूषण – बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण जैव-विविधता क्षरण का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है। नाशिजीवनाशक (पेस्टीसाइड), औद्योगिक रसायन तथा अपशिष्ट आदि पर्यावरण प्रदूषण के लिये मुख्यतः उत्तरदायी हैं।
विदेशी मूल की वनस्पतियों का आक्रमण – विदेशी मूल की वनस्पतियों के आक्रमण के परिणामस्वरूप जैव विविधता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है इसलिये इन्हें ‘जैविक प्रदूषक’ की संज्ञा दी जाती है।
अतिशोषण – बढ़ती मानव जनसंख्या के कारण जैविक संसाधनों का दोहन भी बढ़ा है। संसाधनों का उपयोग तब ज्यादा बढ़ जाता है जब पूर्व में उपयोग नहीं हुई अथवा स्थानीय उपयोग वाली प्रजाति के लिये वाणिज्यिक बाजार विकसित हो जाता है।
शिकार – जन्तुओं का शिकार आमतौर से दांत, सींग, खाल, कस्तूरी आदि के लिये किया जाता है। अंधाधुंध शिकार के कारण जानवरों की बहुत सी प्रजातियाँ लुप्तप्राय जन्तुओं की श्रेणी में पहुँच चुकी है।
वन विनाश – विकास कार्यों तथा कृषि के विस्तार के कारण उष्णकटिबंधीय देशों में जंगलों को बड़े पैमाने पर नष्ट किया गया है जिसके परिणामस्वरूप उष्णकटिबंधीय वनों में जैव-विविधता का क्षरण हुआ है।
अति-चराई – शुष्क तथा अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में चराई जैव-विविधता क्षरण का एक प्रमुख कारण है। भेड़ों, बकरियों तथा अन्य शाकभक्षी पशुओं द्वारा चराई के कारण पौधों की प्रजातियों को नुकसान पहुँचता है।
बीमारी – मानव गतिविधियाँ वन्य-जीवों की प्रजातियों में बीमारियों को बढ़ावा देती हैं। जब कोई जानवर एक प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र तक सीमित होता है तब उसमें बीमारी के प्रकोप की संभावना ज्यादा होती है।
चिड़ियाघर तथा शोध हेतु प्रजातियों का उपयोग– चिकित्सा शोध, वैज्ञानिक शोध तथा चिड़ियाघर के लिये कुछ विशिष्ट जानवरों को प्राकृतिक वास से पकड़ना प्रजाति के लिये खतरनाक साबित होता है क्योंकि इससे इनकी जनसंख्या में गिरावट होने की संभावना रहती है जिससे ये जानवर विलुप्ति के कगार पर पहुँच सकते हैं।
नाशीजीवों तथा परभक्षियों का नियन्त्रण – फसलों तथा पशुओं का नाशीजीवों तथा परभक्षियों से सुरक्षा ने भी बहुत से प्रजातियों को विलुप्ति के कगार पर पहुँचा दिया है।
प्रतियोगी अथवा परभक्षी प्रजातियों का प्रवेश – प्रवेश कराई गयी प्रजाति दूसरी प्रजातियों को उनके शिकार, भोजन के लिये प्रतियोगिता, आवास को नष्टकर अथवा पारिस्थितिक संतुलन को अव्यवस्थित कर उन्हें प्रभावित कर सकती है।
जैव-विविधता का संरक्षण (Conservation of Biodiversity)
असहाय प्रजाति – वे प्रजातियाँ जो कि संकटग्रस्त प्रजातियाँ बन सकती हैं अगर वर्तमान कारक का प्रकोप जारी रहा जो इनकी जनसंख्या के गिरावट के लिये जिम्मेदार है।
दुर्लभ प्रजाति – यह वे प्रजातियाँ होती हैं जिनकी संख्या कम होने के कारण उनकी विलुप्ति का खतरा बना रहता है।
आंकड़ों की अभाव वाली प्रजाति – वे प्रजातियाँ जिनके विषय में पर्याप्त आंकड़ों के अभाव के कारण इनको किसी श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
अमूल्यांकित प्रजाति – वे प्रजातियाँ जिनका आकलन किसी भी मापदण्ड के अनुसार नहीं किया गया है।
अनिश्चित प्रजाति– वे प्रजातियाँ जिनकी विलुप्ति का खतरा है लेकिन कारण अज्ञात हैं।
संकटग्रस्त प्रजाति – वे प्रजातियाँ जिनके विलुप्ति का निकट भविष्य में खतरा है। इन प्रजातियों की जनसंख्या गम्भीर स्तर तक घट चुकी है
अपर्याप्त रूप से ज्ञात प्रजाति – वे प्रजातियाँ जो संभवतः किसी एक संरक्षण श्रेणी से संबद्ध होती हैं
जंगली अवस्था में विलुप्त प्रजाति – वे प्रजातियाँ जो वर्तमान में खेती अथवा कैद में होने के कारण ही जीवित हैं।
गंभीर संकटग्रस्त प्रजाति – वे प्रजातियाँ जो निकट भविष्य में जंगली अवस्था में विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रही हो।
विलुप्त प्रजाति – वे प्रजातियाँ जिनका अस्तित्व पृथ्वी से समाप्त हो चुका है।
संरक्षण आधारित प्रजाति – ये वे प्रजातियाँ होती हैं जो आवास आधारित संरक्षण कार्यक्रम पर निर्भर होती हैं।
कम महत्त्व वाली प्रजाति – वे प्रजातियाँ, जो न तो गम्भीर संकटग्रस्त, संकटग्रस्त अथवा असहाय होती हैं|
लगभग जोखिमग्रस्त प्रजाति – ये वे प्रजातियाँ हैं जो दुर्लभ श्रेणी में पहुँचने के करीब होती हैं।
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What is Biodiversity :- अगर आपने What is Biodiversity को यहाँ तक पढ़ा है तो मुझे पूरी तरह उम्मीद है की आपको What is Biodiversity अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा| इस Artical में अगर आपको कोई भी Problem हो तो हमें Comment के माध्यम से पूछ सकते है | अगर आपको यह Artical अच्छा लगा तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करे What is Biodiversity
What is Biodiversity FAQ
जैव विविधता कितने प्रकार की होती है?
जैव विविधता तीन प्रकार की होती है-
(i) आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity)
(ii) प्रजातीय विविधता (Species Diversity)
(iii) पारितंत्र विविधता। (Ecosystem Diversity)
जैव विविधता अर्थ क्या है (What is Biodiversity Meaning)
Biodiversity का अर्थ है – Livings (जीवित वस्तुएँ ) तथा Diversity का अर्थ है – Different Species ( विभिन्न प्रजातियाँ )
जैव विविधता के जनक कौन है?
ई. ओ. विल्सन को जैवविविधता का जनक कहा जाता है।
जैव विविधता दिवस पहली बार कब मनाया गया?
प्रतिवर्ष 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है। 20 दिसम्बर 2000 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रस्ताव पारित करके इसे मनाने की शुरुआत की गई थी।
भारत में सबसे अधिक जैव विविधता संपन्न क्षेत्र कौन सा है?
पश्चिमी घाट है। पश्चिमी घाट 5,000 से अधिक फूलों वाले पौधों, 139 स्तनधारियों, 508 पक्षियों और 179 उभयचर प्रजातियों के साथ विश्व के जैव विविधता वाले आकर्षण के केंद्र हैं।
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